रायसेन एक प्राचीन नगर है, जो स्वतंत्रता के पूर्व तक भोपाल रियासत का अधीनस्थ भू-भाग रहा है। रायसेन की प्राचीन विरासत के रूप में रायसेन का किला विद्यमान है। मध्य काल में इस दुर्ग की गणना विशेष दुर्गों की श्रेणी में होती थी। अकबर के शासनकाल में उज्जैन सूबा के अंतर्गत यह सरकार का मुख्यालय था।
रायसेन दुर्ग में स्थित बादल महल, राजा रोहणी का महल एवं अतरदार के महल को हिन्दू स्थापत्य कला का माना जाता है। दुर्ग में दीवालों पर अनेक शिलालेख चस्पा हैं। जिनमें से 1-2 फारसी लिपि को छोड़कर शेष सभी नागरी लिपि में हैं। दुर्ग में चार तालाब एवं 48 प्राचीन कुएँ हैं। इनसे दुर्ग में निवास करने वाले की जल की व्यवस्था होती थी।
जैसा पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है कि वर्तमान रायसेन जिले का भू-भाग स्वतंत्रता के पूर्व तक भोपाल रियासत का भाग था। इस भू-भाग के पश्चिमी भाग को नर्मदा नदी एवं पूर्वी भाग में बेतवा नदियों के साथ-साथ अन्य अनेक छोटी-छोटी नदियाँ हैं। गाँवों में छोटे-छोटे निस्तारू तालाब हैं। इस कारण इस भू-भाग में प्राचीन तालाब न के बराबर रहे हैं। आजादी के बाद सिंचाई व्यवस्था हेतु अनेक डेम बनवाये गये हैं।
परमार राजाभोज धार ने एक विशाल तालाब का निर्माण भोजपुर में (1010-1055 ई.) कराया था। ऐसा कहा जाता है कि होशंगशाह जो मालवा का शासक (1405-34 ई.) था, ने इसे जानबूझकर इसके बाँध को तुड़वा दिया था। तालाब के बाँध के अवशेष अब भी विद्यमान हैं।
रायसेन जिले का विश्व प्रसिद्ध भीमबैठका प्राचीनतम शैलाश्रयों हेतु जाना जाता है। यहाँ पुरातत्व की विपुल मात्रा में सामग्री प्राप्त हुई है। इसमें पत्थरों की नींव के ऊपर ईंटों से बने हुए कुँओं के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यह अवशेष गौहरगंज से 22 कि.मी. दूर बेतवा के तट पर स्थित ननदुर (Nandur) ग्राम में प्राप्त हुए हैं।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।