डॉ. पवन ताम्रकार, एम.डी. होम्यो, प्राचार्य होम्योपैथिक कॉलेज, ग्राम पगारा झांसी रोड, सागर मध्यप्रदेश बुन्देलखण्ड, मो. 09302910308

बुन्देलखण्ड में होम्योपेथी चिकित्सा को सेवा करने का लाभ विगत तीन सौ वर्ष से ही सम्भव हुआ, अतः यह चिकित्सा जन-जन में पूर्णतः स्थापित नहीं हो पाई परन्तु इस चिकित्सा का आकर्षण लक्षण अनुसार आज स्थापित है। सब चिकित्साओं के साथ रोगी यत्र, तत्र, सर्वत्र इस चिकित्सा से लाभाविन्त होते हैं।

सन 1980 के आस पास की बात है जहाँ तक मुझे अच्छी तरह से याद है, सागर संभाग में व इसके पाँचों जिलों में चिकित्सा सुविधा के नाम पर जिला चिकित्सालय व अन्य कुछ प्राईवेट चिकित्सालय थे जिसमें एलोपैथिक पद्धति से चिकित्सा सुविधायें हुआ करती थी, इसी मध्य आयुवेदिक व होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धतियाँ भी अपने प्रभावों में थी, परन्तु इनकी सख्या इतनी कम थी की इन्हे अंगुलियों में गिना जा सकता था। मुख्यधारा की चिकित्सा पद्धतियों के साथ शक्कर की मीठी मीठी साबूदाने की गोलियाँ मुझे याद आती है। जिसे हम सभी आज होम्योपैथिक चिकित्सा के नाम से जानते है उस समय इसे वह स्थान व विश्वास प्राप्त नही था जो आज है। जन सामान्य में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से परिचय व इसकी उपयोगिता, विश्वासपथ को यदि किसी ने आगे बढाया है तो उनमें से कई ऐसे शौकिया व्यक्ति भी थे जो किसी बोर्ड से पंजीकृत न होते हुए भी इस चिकित्सा को जन सामान्य तक पहुंचाने में एक मील का पत्थर थे।

सागर- सागर में अगुलियों पर गिने जाने वाले होम्योपैथ चिकित्सक थे उनमें कुछ पंजीकृत तथा कुछ शौकियाँ होम्योपैथ अपनी सेवाये देकर इस चिकित्सा की उपयोगिता व उपचारों से जन सामान्य को अवगत कर रही उनमें प्रमुख डॉ. बी बी राय, डॉ. जानकी प्रसाद सेन डॉ. एल.एस. चौहान, डॉ. पी.के. ताम्रकार, डॉ. एच.सी. सैनी कामर्स विभाग सागर विश्वविद्यालय सागर, डॉ. मित्रा, डॉ. भास्कर पटैरिया, के. के. उपाध्याय फार्मेसी विभाग सागर विश्वविद्यालय सागर, डॉ आनन्द जैन मकरोनिया सागर, डॉ कृष्णभूषण सिंह चन्देल, आर्दश जैन, डॉ. एल.एल. ताम्रकार रिटायर्ड उप संचालक वेटनरी।

होम्योपैथिक दवाओं की उपलब्धता- सागर नगर में होम्योपैथिक दवायें उपलब्ध कराने का कार्य सर्वप्रथम चरक औषधी भंडार परकोटा के माध्यम से प्रारम्भ हुआ था इसके बाद यह सन् 1981-82 चेतक फार्मा के नाम से परकोटा में ही खोला गया, इससे सागर के होम्यो चिकित्सकों व मरीजों को होम्योपैथिक दवायें आसानी से उपलब्ध होने लगी। वर्तमान में चेतक फार्मा, बी.एम. होम्यो., लाईफ होम्यो., फार्मा आदि होम्योपैथिक दवाओं व होम्योपैथिक मटेरियल उपलब्ध करा रहे है।

प्रकाशन के क्षेत्र में- सन् 1982 के आस पास प्रकाशन क्षेत्र में डॉ. कृष्णभूषण सिंह चन्देल की पुस्तक होम्योपैथिक के चमत्कार का प्रकाशन रोजगार प्रकाशन से हुआ तथा 1985 में होम्योपैथिक एंव एक्युपंचर की साझा चिकित्सा पर ब्यूटी क्लीनिक के नाम से पुस्तक का प्रकाशन हुआ।

होम्योपैथिक पत्रिका के प्रकाशन- बुन्देलखण्ड में होम्योपैथिक पत्रिका चिकित्सा जागृति का प्रकाशन कार्य रजिस्ट्रर्ड चिकित्सक संध के माध्यम से किया गया जिसके प्रथम प्रधान सम्पादक डॉ. पी.के. ताम्रकार थे। इसी क्रम में चिकित्सा वर्ड के नाम से एक पत्रिका कर प्रकाशन सागर से किया गया जिसके सम्पादक डॉ. पी.के. ताम्रकार थे। राष्ट्रीय स्तर के हिन्दी भाषीय कई पत्र पत्रिकाओं में सन 1980 से लगातार होम्योपैथिक के लेखों का प्रकाशन डॉ. कृष्णभूषण सिंह चन्देल द्वारा किया जाता रहा अतः उक्त प्रकाशन क्षेत्र को होम्योपैथिक के विकाशक्रम में भूलाया नहीं जा सकता।

सागर में होम्योपैथिक कालेज की स्थापना- सन 2001 में डॉ. पी.के. ताम्रकार के अथक प्रयासों से सागर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज की स्थापना हुई जो प्रारम्भ में तारघर के उपर नमक मंडी से संचालित हई। सन् 2005 में कालेज अपने स्वय के भवन भैसा पहाड़ी पर संचालित है।

चैरिटेबिल चिकित्सालय- चैत्यालय में धमार्थ चिकित्सालय का संचालन जैन समाज द्वारा संचालित किया गया जिसमें जे.पी. कोचे व डॉ. पी.के. ताम्रकार ने अपने सेवायें प्रदान की

छतरपुर- बुन्देलखण्ड में जिला छतरपुर मात्र एक ऐसा जिला था जिसमें होम्योपैथिक कालेज था जो डॉ. सूरत सहाय शर्मा के अथक प्रयासों से सन् 1965 में स्वामी पडवानन्द होम्योपैथिक मेडिकल कालेज छतरपुर के नाम से स्थापित हुआ जिसमें बुन्देलखण्ड व अन्य राज्यो से छात्र अध्ययन करने आते। डॉ. शर्मा जी के प्रयासों से ही छतरपुर में होम्योपैथिक चिकित्सकों के लिये होम्योपैथिक दवाओं की उपलब्धता हेतु होम्योपैथिक मेडिकल स्टोर खोला गया इससे इस पैथी के चिकित्सकों को जहॉ दवाये उपलब्ध होने लगी वही मरीजों को भी सुगमता से सस्ती व सुलभ होम्योपैथिक दवाये उपलब्ध होने लगी।

दमोह- दमोह जिले में सन् 1984 के आस पास की बात है यहाँ पर होम्योपैथिक नाम से भी कोई चिकित्सा पद्धति होती है इसकी जानकारी बहुत ही कम लोगों को थी ऐसे समय में रेल्वे स्टेशन रोड पर एक छोटी सी दुकान रेल्वे से रिटायर्ड चटर्जी की थी जो ज्योतिश विद्या के भी ज्ञाता थे, इसी मध्य दमोह जिले में डॉ. आर.सी. तिवारी रिटायर्ड उप संचालक वेटनरी विभाग अपनी शासकीय सेवाओं के साथ होम्योपैथिक से उपचार किया करते थे उनके उपचार की सफलता ने उनका नाम दूर दूर तक प्रचलित कर दिया था ऐसे रोगी जो मुख्यधारा की चिकित्सा से ठीक नही होते थे वे इनके पास आते और दुध शक्कर की गोलीयों से रोगमुक्त हो जाते, इस प्रकार से होम्योपैथिक के विकास मे इनके योगदान को भी नही भुलाया जा सकता है।

सागर नगर के वर्तमान में सीनियर होम्योपैथी डॉक्टर्स – डॉ. पी.के. ताम्रकार, डी.एच.एम.एस., एम.डी., डॉ. प्रदीत ताम्रकार, डी.एच.एम.एस., एम.डी., डॉ. ओ.एन. ताम्रकार बी.एच.एम.एस., एम.डी., डॉ. इलयास खान, डी.एच.एम.एस., डॉ. अनुराग यादव, डी.एच.एम.एस., डॉ. हनीफ खान, डी.एच.एम.एस., डॉ. राजेश जैन, डी.एच.बी., डॉ. किशोर सोन, डी.एच.बी., डॉ. ओ.पी. शिल्पी, बी.एच.एम.एस.,

सागर नगर में नवीन होम्योपैथ डॉक्टर्स – डॉ. ओ.एन. ताम्रकार, बी.एच.एम.एस., एम.डी., डॉ. मयंक ताम्रकार, बी.एच.एम.एस., एम.डी., डॉ. अतुल ताम्रकार, बी.एच.एम.एस., डॉ. मेघा ताम्रकार, बी.एच.एम.एस., डॉ. पुनीत वर्मा, बी.एच.एम.एस., डॉ. वसीम उद्दीन, बी.एच.एम.एस., डॉ. अम्बर दुबे, बी.एच.एम.एस., डॉ. राघवेन्द्र तिवारी, बी.एच.एम.एस., डॉ. शीतल गुप्ता, बी.एच.एम.एस.।