
लोक देवता लाला हरदौल
October 8, 2024
परिसंवाद कार्यक्रम
November 5, 2024संत हजारीराम एक महान संत थे, जिन्होंने असहनीय कष्टों को सहकर भी मानव कल्याण हेतु कार्य किए। संत हजारी राम के पूर्वज अखंड भारत भूमि सिंधु-देश (वर्तमान पाकिस्तान) में मुल्तान के निवासी सचदेव क्षत्रिय थे। आपके पिताजी का नाम श्री रतनलाल था। एक दिन संत हजारीराम ने बाढ़ आई नदी की तीव्र जलधारा में छलांग लगा दी। आश्रम के संत वसणाराम की आज्ञा से सेवादारों द्वारा जब उनसे वापस लौटने हेतु प्रार्थना की गई तो वेगवती जलधारा से सूखे बदन और वस्त्रों के साथ दिव्य ज्योति लिए संत हजारीराम प्रकट हुए। आश्रम के संत जी द्वारा बताया गया कि यह वरुण देव द्वारा देव प्रस्तुत ज्योति है, जिसे अखण्ड प्रज्जवलित रहना चाहिए। पहले इस ज्योति को संत हजारीराम जी के जन्म स्थान वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित ग्राम वरदड़े में रखा गया। 1947 में देश विभाजन पर मूल ज्योति दतिया में गाड़ीखाना मार्ग पर संत हजारीराम मंदिर में प्रतिस्थापित की गई। अखंड ज्योति निरंतर 233 वर्षों से प्रज्वलित है, जो कि पूरे हिंदुस्तान में श्रद्धा का केंद्र है। सिंधी समाज की पूज्य संत हजारीराम पंचायत द्वारा प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष प्रतिपदा एवं द्वितीय तिथि को “ज्योति स्नान” महोत्सव मनाया जाता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं संतगण पूरे भारतवर्ष से दतिया शहर में पधारते हैं। दतिया में सिंधी समाज का यह प्रमुख आस्था केन्द्र है।