नरसिंहपुर
January 31, 2025मंडला
January 31, 2025जबलपुर
जबलपुर नगर को यदि तालाबों का नगर कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। गोंड राजा मदनसिंह द्वारा लगभग सन् 1100 में निर्मित मदन महल नामक आराम महल के अवशेष उपलब्ध हैं। इस महल के पश्चिम में गंगासागर तालाब स्थित है तथा कुछ आगे बालसागर फैला हुआ है। देवताल के निकट अगस्त या सितम्बर में एक वार्षिक मेला लगता है। बाजनामठ के समीप ही एक तालाब है, जिनके मध्य एक प्राचीन ऐतिहासिक महल है।
रानी दुर्गावती द्वारा बनवाया गया ‘रानी ताल’, रानी की सेविका द्वारा बनवाया गया ‘चेरी ताल’ तथा रानी के मंत्री द्वारा बनवाया गया। आधार ताल नगर की शोभा में चार चाँद लगाते हैं।
बहोरीबंद
बहोरीबंद नाम इस स्थान में विद्यमान अनेक बंधानों के कारण पड़ा। ग्राम के उत्तर में एक बड़ा तालाब है, जिसके दक्षिणी-पश्चिमी कोने पर अनेक प्राचीन मंदिरों के चिन्ह मिलते हैं।
बिलहरी
बिलहरी इस प्राचीन ग्राम का पिछला गौरव और विस्तार दर्शाते हैं। यहाँ बड़ा तालाब ‘लक्ष्मण सागर’, छोटा तालाब ‘धावना ताल’, विष्णु वराह मंदिर और विनष्ट मंदिर जो काम कंदला के महल के नाम से प्रसिद्ध हैं।
बुड़ागर
बुड़ागर जिले का सबसे बड़ा माना जाने वाला ‘बुरहान सागर’ नामक तालाब ग्राम के पश्चिम में स्थित है। इसकी लंबाई 1.6 किलोमीटर से अधिक तथा चौड़ाई 1.6 किलोमीटर के लगभग है। तालाब के दो किनारे अनगढ़ पत्थरों से बने हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक प्राचीन संरचना है।
दैमापुर
दैमापुर से तीन मील दूर स्थित तोला नामक ग्राम की बावड़ी की दीवारों के आलों में अनेक जैन प्रतिमाएँ रखीं हुईं देखी जा सकती हैं। एक मूर्ति की चौकी पर संभवतः कलचुरी संवत् 907वें वर्ष का अर्थात् लगभग 1155 ई. का एक लेख अंकित है।
कन्हवाड़ा
कन्हवाड़ा ग्राम के क्षेत्र के अंदर 52 छोटे तालाब हैं तथा इस स्थान के लगभग 3.2 कि.मी. से 5 कि.मी. के घेरे के अंदर प्राचीन संरचनाओं के अनेक अवशेष दिखाई देते हैं।
कारीतलाई
कारीतलाई प्राचीन समय में संभवतः यह कर्णपुर नामक एक बड़ा नगर था। इस स्थान का वर्तमान नाम संभवतः स्थानीय बड़े तालाब के श्याम वर्ण पानी की सतह के कारण पड़ा है।
कुन्डम
कुन्डम के बारे में माना जाता है कि इस स्थान के नाम की उत्पत्ति एक बड़े कुण्ड या स्थानीय तालाब, जिससे हिरन नदी निकली है, के कारण हुई है।
मंझगवाँ
मंझगवाँ में एक बड़ा तालाब है, जिसके एक कोने पर एक उत्कीर्ण लेख युक्त सती शिला है, जिस पर सन् 1360 अंकित है।
मझौली
मझौली किसी समय इस ग्राम में विष्णु का एक प्रसिद्ध मंदिर था, जिसमें ज्यामितीय डिजाइन की अति सुंदर नक्काशी थी। अब नारायणावतार वराह की एक विशाल प्रतिमा को छोड़कर यहाँ कुछ भी दिखाई नहीं देता। यह प्रतिमा ‘नरौरा तालाब’ में मछली पकड़ रहे एक मछियारे के जाल में फँस गई थी।
पनागर
पनागर यह स्थान इनके पान के विस्तृत बगीचों के कारण जो यहाँ वृहदाकार ‘बलेहा तालाब’ के चारों ओर फैले हुए हैं, बहुत प्रसिद्ध है।
रीठी
रीठी यहाँ पर बड़े तालाब के समीप मंदिरों का एक समूह वराह देवता का स्थान कहलाता है। यहाँ पर शेषशायी विष्णु वराह अवतार की एक प्राचीन प्रतिमा भी है।
रूपनाथ
रूपनाथ सम्राट अशोक के ई. पूर्व तीसरी शताब्दी के शिलोत्कीर्ण धर्मादेशों में से एक यहाँ प्राप्त हुआ है, जिस गोलाश्म पर यह लेख उत्कीर्ण है, वह एक गहरा लाल रंग का है, जो निचले तालाब की पश्चिमी सीमान्त पर स्थित है।
सिमरा
सिमरा ग्राम के पूर्व में चार मंदिर हैं तथा एक मंदिर ‘बराती ताल’ के किनारे पर है। ये सभी मंदिर भग्नावस्था में हैं।
तेवर
तेवर यह एक अति प्राचीन नगर है। यहाँ उत्खनन में- ‘मंडल कूप बावड़ियाँ, शोध गर्त आदि प्राप्त हुए हैं। डॉ. दीक्षित के मतानुसार इस स्थान के प्रथम निवासी अनुमानतः लगभग ईसा पूर्व 1000 में यहाँ रहा करते थे।
यहाँ पर पत्थरों के बंधान वाली एक बावड़ी का उत्खनन किया गया था। यह बावड़ी बहुत पुरानी दिखाई देती है। यह स्वस्तिकाकार है और इसमें चार संकरी सीढ़ियाँ हैं। इसके चारों ओर पार्श्वों में से प्रत्येक के मध्य कलचुरी नरेशों के अनेक शिलालेख लगे थे। गाँव के लोग इस बावड़ी से पानी लेते हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ ‘बाला सागर’ नामक एक बड़ा तालाब भी है।
जिले में तालाबों की स्थिति
मुड़वारा तहसील
मुड़वारा तहसील में जगवा, खितोली, अमादी बनहारा, बड़ा बोरीना, छोटा बोरीना, सिजहेनी, पिपरोथा, बड़ा सकरवारा, सकरवारा विचला, पाली, पावरा, गढ़ा, बन्ढ़ा, भरतला, हरद्वारा, पथोहटा, कोडिया, सगवां, पटोहन, राम तालाब, भुरसा नामक तालाब विद्यमान हैं।
जबलपुर तहसील
जबलपुर तहसील में परियट, जबलपुर, बरेराकला, मोहरी, पनागर।
सिहोरा तहसील
सिहोरा तहसील में बहुरीबंद, सिलपुर, किशगी नं. 1, किशगी नं. 2, भसनदा, धरवारा, पृछिताल, पुडवारा, सिहोरा के तालाबों से सिंचाई कार्य सम्पन्न होता है।
(संदर्भ – पृ. 616-645, पृ. 654-657 जबलपुर गजेटियर)