इस जिले के कतिपय तालाबों का इतिहास ज्ञात है। उनके निर्माण काल को प्राचीन, मध्य युगीन और आधुनिक काल के तालाबों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। कहा जाता है कि बरहेटा का तालाब और नौनिया तथा कछवा में स्थित तालाब राजा बरार या भरत ने बनवाये थे। बोहनी का तालाब 12वीं शताब्दी में बनवाया गया था। बचई के तीन तालाब तथा चिला चौन खुर्द के एक तालाब के संबंध में कहा जाता है कि इसका निर्माण गोंड युग में एक गोंड सरदार ढंडू द्वारा करवाया गया था। सूखाखेड़ी, खुरसीपार और सूकरी स्थित तालाबों का निर्माण दो या तीन शताब्दी पूर्व संभवतः किन्हीं परोपकारी व्यक्तियों द्वारा किया गया था। नरसिंह के तालाब और नरसिंह जी के मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी के अंत में जाट सरदार द्वारा कराया गया था। गौरतला, शलीवाड़ा बीनेर, बनवारी, सहावन और रमपुरा के तालाबों का निर्माण लगभग 100 या 150 वर्ष पूर्व वहाँ के जमीदारों द्वारा करवाये गये थे। सांईखेड़ा तालाब का निर्माण पिछली शताब्दी के अंत में उस गाँव के रहने वाले साधु द्वारा किया गया था।
सामान्यतः लगभग प्रत्येक मैदानी गाँव में एक तालाब या बड़ा जलाशय होता है। जिले के कुछ महत्त्वपूर्ण तालाब निम्नलिखित विवरण अनुसार हैं –
तालाब वगासपुर, बरहा, नरसिंहपुर बिनेर, चिरिया, सांईखेड़ा, सूखाखेड़ी, गरगटा, गौरतला, बरेहटा, सोहावन, रामपुर, लटगाँव, सुकरी, सालीवाड़ा नोनिआ, कछवा, बचई, करेली, बोहनी, सदुमार, बम्हौरी, खुर्सीपार, चिलाचोन खुर्द, झिरिया, नदिया, श्रीनगर, नागबाड़ा, भेलपानी, बेद्, केवलारी, गंगई, अजनसरा गाडरवारा में स्थित है।
इनमें से प्रथम आठ तालाबों से पूरे वर्ष पानी की पूर्ति होती है। अधिकांश तालाब कृत्रिम रूप से बनाये गये हैं। तथापि कुछ तालाब किसी सरिता पर सुविधाजनक स्थल पर बाँध बनाकर निर्मित किये गये हैं। अजनसरा, चिरचिरा, सलीवाड़ा, बैंदू और लटगाँव के तालाबों को इस प्रकार के अर्धकृत्रिम जलाशय कहा जा सकता है। बैंदू में स्थित तालाब के मामले में अधोमुखी सरिता शीत और ग्रीष्म ऋतु में सूखी रहती है और यह वर्षा में मौसमी आन्तरस्थलीय अपवाह का एक उदाहरण है। कहा जाता है कि सलीवाड़ा के तालाब में भूमिगत जल स्त्रोत हैं।
ग्रामवासियों की इंजीनियरी की कुशलता का एक और उदाहरण सदुमार में देखा जा सकता है, जहाँ राव साहब नामक एक जमींदार ने एक तालाब बनवाया था। इस तालाब में जल एक सरिता पर अस्थायी पुल का निर्माण कर उसके तट बंधित क्षेत्रों से लाया जाता है।
(संदर्भ – नरसिंहपुर जिला-गजेटियर, पृष्ठ 11-12)