विभिन्न मुस्लिम कालीन जल संरचनाएँ
January 28, 2025बुन्देलखण्ड की जिलेवार जल संरचनाएँ टीकमगढ़
January 30, 2025ईसवी पूर्व, गुप्त एवं प्रतिहार, कलचुरी, चंदेला, बुन्देला, गोंड, मराठा, परमार, परिहार, मुसलमान शासकों द्वारा जहाँ-जहाँ जल संरचनाओं का निर्माण कराया गया, उनका उपलब्ध अभिलेख के आधार पर पृथक-पृथक अध्यायों में वर्णन प्रस्तुत किया गया है। इन शासकों के द्वारा जो निर्माण कराये गये उनके अतिरिक्त हजारों की संख्या में ऐसी जल संरचनाएँ भी हैं, जिनका निर्माण अन्य अल्पकालीन शासकों एवं जन सामान्य द्वारा कराया गया। उपलब्ध अभिलेखों अनुसार उनका विवरण इस अध्याय में प्रस्तुत किया जा रहा है।
“Lalitpur – Tradition ascriles the founding of the place to Sumer Singh a Raja from Sodhlindia, who named it after his wife Lalita. A tank in which he is said to have bathed still bears his name.” (ई. वी. जोशी, झाँसी जिला गजेटियर, पृ. 351)
नरसिंहपुर
‘नरसिंहपुर के तालाब और नरसिंहजी का मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी के अंत में एक जाट सरदार द्वारा कराया गया था।’ ( नरसिंहपुर जिला गजेटियर, पृ. 11-12)
कालपी (जिला-जालौन)
‘वस्तुतः राजस्थान से व्यापार के उद्देश्य से आये मारवाड़ियों द्वारा जन लाभार्थ एक कुआँ खुदवाया गया था। इसी से इसका नाम मारवाड़ी कुइया पड़ा।’ (गौरवशाली कालपी, पृ. 54)
‘सागर जनपद का दूसरा ऐतिहासिक तालाब गढ़ पहरा का मोती ताल है। यह पहाड़ी के नीचे दाँगी शासकों द्वारा बनवाया गया है।’ (पी. राघवन – सागर विरासत और विकास, पृ. 07)
‘बुड़नगर (जबलपुर) जिले का सबसे बड़ा माने जाने वाला ‘बुरहान सागर’ नामक तालाब ग्राम के पश्चिम में स्थित है। गढ़ मंडला के शासक हिरदेशाह के समय गड़रिया को पारस पत्थर मिला, उसने राजा को भेंट किया। राजा ने उदारतापूर्वक उसे वापस लौटाते हुये इसका उपयोग तालाब निर्माण करने को कहा। गड़रिया 4 भाई थे। बुरहान ने बुड़ागर में ‘बुरहान सागर’, सरमन ने सिरोली मझगवाँ में ‘सरमन सागर’, कौरई ने कुआँ में ‘कोरेई सागर’ तथा कोदू ने कुन्डम में ‘कुन्डम सागर’ बनवाये।’ (जबलपुर जिला गजेटियर, पृ.625)
‘देव ताल का निर्माण परिव्राजक काल में राजा देवाढ्य ने कराया था। बाद में मदन सिंह के दीवान रघुवर सिंह ने इसकी मरम्मत कराई।’ (मध्यप्रदेश संदेश वर्ष 105, अंक 6, पृ. 12)
‘ग्राम झिरिया (मंडला) में आज से ढाई सौ साल पहले सन् 1755 में एक बावड़ी का निर्माण किया गया था। इसे राजा निजाम शाह के कामगार कन्हई राम द्वारा बनवाया गया था। तब से लेकर आज तक यह बावड़ी झिरिया गाँव के लोगों के लिये बारह महीने निरंतर जल की आपूर्ति कर रही है।’ (वही, पृ. 14)
‘गचाऊ की बावड़ी – प्राणपुर (चंदेरी) में स्थित इस बावड़ी का निर्माण महमूद शाह खिलजी ‘द्वितीय’ के शासनकाल में हिजरी 926 में रामदास प्र. लछमनदास द्वारा करवाया गया था। फारसी का शिलालेख लगा है।’ (पुरातत्व धरोहर, पृ. 101)
सागर
‘सागर सरोवर की उत्पत्ति के विषय में प्रो. डब्ल्यू. डी. वेस्ट ने यह सुझाया है कि जब उपरिस्थ ट्रप के हट जाने के कारण विन्ध्यदृश्यान्स (आउट, क्राण) जो अंशतः सरोवर को घेरे हुये अनावृत्त हो गये तो इस सरोवर का प्रादुर्भाव हुआ, क्योंकि अधिक प्रतिरोधी विन्ध्य क्वार्टजाइट दक्षिण से उत्तर की ओर के जल प्रवाह पर बाँध का काम करता है। अब पश्चिम की ओर जल का प्रवाह एक छोटे बाँध से रोका गया है।’ (सागर जिला गजेटियर, पृ. 06)
‘सागर नगर के तालाब को बड़ा रूप देने का श्रेय मराठों को है। सागर के पुराने तालाब को गहरा और चौड़ा करवाया। मध्यकाल में बनजारे लोग सागर आकर तालाब का पूजन करते थे।’ (सागर विरासत और विकास, पृ. 7)
‘चार शताब्दी पूर्व बंजारों द्वारा अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिये बनाई गई झील के कारण ही सागर नामकरण हुआ। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि सरोवर से घिरे होने के कारण सागर नाम पड़ा। सागर स्थित तालाब जिसे लाखा बंजारा (लक्खीशाह) द्वारा सोलहवीं शताब्दी में बनवाया गया था।’ (मध्यप्रदेश संदेश वर्ष 105, अंक 6, पृ. 16) ज्ञातव्य है कि एक लाख पशुओं के कारवाँ के टोली नायक को लाखा बंजारा कहा जाता था।
“Bhojpur – (Raisen) The west Bhojpur once existed a vast lake, Now there remains nothing except ruins of maonificent old dam. Which held up the waters of the lake. The site was chosen with great skill as a natural walls of hills enclosed 500 yards (457 meters) respectively. These embankment held up expanse of water measuring about 647.5 square km. The great work is draditionally ascribed of Raja Bhoj the celebrated Parmara King of Dhar (101055AD) but it may possible of earilear datea. (रायसेन जिला गजेटियर, पृ. 342)
“Konch (Jalon) – A small pool called Chora Tal, which is said to have been dug by Champat Rai, one of the commonders of Prithiviraj army on this invasion of Mohaba.” (जालौन जिला गजेटियर, पृ. 296)
दतिया
लाला देवी दयाल ने लाला का ताल निर्माण करवाया था। (बुंदेलखंड का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक अनुशीलन, पृ. 45)
‘वोहनी (नरसिंहपुर) का तालाब किसी समय 12वीं शताब्दी में बनवाया गया था। उत्तरी या निचला बाँध प्रस्तर प्रासाद के खण्डहर का भाग है। जिसके संबंध में कहा जाता है कि वह जसराज और बच्छराज नाम के दो शूरवीर सरदारों का था, जो महोबा के नायक आल्हा और ऊदल के क्रमशः पिता और चाचा थे।’ (नरसिंहपुर जिला गजेटियर, पृ. 11)
नरसिंहपुर
‘गौर तला शलीचांद्रा जीनेट वनबारी, सहावन और रमपुरा के तालाबों का निर्माण लगभग 100 या 150 वर्ष पूर्व वहाँ के जमीदारों द्वारा करवाये गये थे।’ (वही, पृ. 12)
‘सांईखेड़ा (नरसिंहपुर) तालाब का निर्माण पिछली शताब्दी (19वीं) के अंत में उस गाँव में रहने वाले एक साधु द्वारा किया गया था।’ (वही, पृ. 12)
‘सलीवाड़ा (नरसिंहपुर) जहाँ राव साहब नामक एक जमीदार ने एक तालाब बनवाया था।’ (वही, पृ. 11)
‘गढ़ोला (सागर) 76 एकड़ का एक तालाब है। इसे एक डांगी परिवार के पास जिसका खुरई में विस्तृत क्षेत्र था। लगान मुक्त रखा गया था, ने बनवाया था।’ (सागर जिला गजेटियर, पृ.515)
‘जयसीह नगर (सागर) गढ़ पहरा के पास जयसिंह ने इसे बसाया था। यहाँ एक बड़ा तालाब है।’ (वही, पृ. 518)
ORAI (JALON) – There is a fine tank by the side of Kanpur-Jhansi road, on the Southern edge of town with masonry ghat on the town side and govt. Inter College on the other side. It was built Mahil and hence it is known a MAHIL-KA. TALAB. It covers on area of nearly 1.2 ha. and about 2 to 4 merters deep. (जालौन जिला गजेटियर, पृ. 300)
“Sohagpur-A local tank of Sohagpur called the UKHATALAO, is supposed to contain the water of all the sacred places of India, of brought by Ukha, another tall claim is that the Parmar king Munja transferred his capital to this place. (होशंगाबाद जिला गजेटियर, पृ. 454)
उपरोक्त नामांकित निर्माताओं के अतिरिक्त सहस्त्रों महत्त्वपूर्ण जल संरचनाओं के निर्माताओं का स्थानीय लोग नाम भी नहीं जानते हैं। ऐसी ही कुछ जल संरचनाओं का विवरण प्रस्तुत है।
मझगवाँ (जबलपुर)
‘एक बड़ा तालाब है, जिसके कोने पर संवत् 1360 का सती लेख है।’ (जबलपुर जिला गजेटियर, पृ. 625)
दमोह ‘नगर में फुटेरा ताल, बेलाताल तथा एक बड़ा ताल और भी है।’ (दमोह जिला गजेटियर, पृ. 355)
‘कुण्डलपुर (दमोह) यह पर्वत श्रेणी वर्द्धमान सागर नामक बड़ी झील को घेरे हुये है।’ (वही, पृ.460)
‘रनेह (दमोह) इस ग्राम में एक अत्यन्त प्राचीन कुआँ है। इसके अतिरिक्त अनेक तालाब हैं। अनेक कुएँ हैं। फिर भी कहावत प्रसिद्ध है –
बावन कुआँ, चौसारी ताल, तउ रनेह में पानी को काल।’ (वही, पृ. 465)
कुँवरपुरा (बिजावर)
‘कुआँ, बावड़ी फूटे पड़े हैं। चार-पाँच और भी तालाब हैं।’ (मधुकर, वर्ष 2, अंक 5, पृ. 34)
'बलेह (सागर)
इसमें कुछ पुराने तालाब हैं।’ (सागर जिला गजेटियर, पृ. 502)
‘बंडा (सागर) एक छोटा तालाब है।’ (वही, पृ.505)|
‘हीरापुर (सागर) एक तालाब है।’ (वही, पृ. 517)
‘मालथौन (सागर) ईदगाह, गाँव के पूर्व की ओर एक तालाब के किनारे है।’ (वही, पृ. 522)
Isanaar – Originally the place was known as Badawaraka – Tal aorruption Baid-Ka. Tal or the physicians lake being Soanamed in honour of a Baid cured local chief.” ईस्टर्न स्टेट (बुंदेलखंड) गजेटियर, पृ. 240)
Kharela (Hammirpur) – out side the village at the Mahamun tank a small fair known as the Khajalia fair. (हमीरपुर जिला गजेटियर, पृ. 270)
“Bhaunri (Banda) There are numeroess lakes and wells.” (बाँदा जिला गजेटियर, पृ. 282)
“Marfa (Banda) – Atank-never to dry.” (वही, पृ. 299)
“Kalinjar (Banda) Tankes, Hanuman Kund, Sita Kund, Pandu Kund Buddha-ka-Talao.” (वही, पृ. 282)”Astai (Tikamgarh) Atank stands in the village. (इस्टर्न स्टेट (बुंदेलखंड) गजेटियर, पृ. 73)
“Barana (Tikamgarh) Avery large tanklies between this village and Nandanwara.” (वही, पृ.73)
“Darguwan (Tikamgarh) A large tank is situated close by the village. (वही, पृ. 73) Maharajpura (Tikamgarh) a tank has lately constructed here called Hanuman Sagar.” (वही, पृ. 74)
“Mamanu (Tikamgarh) A good tank is situated near it.” ( वही, पृ. 79)
“Mohangarh (Tikamgarh) A fine tank lies near the village. (वही, पृ. 80)
“Tikamgarh – Numerous takes lie in and round the town.” (वही, पृ. 80
“Panna – no very large tanks exist in the state. Several are situated round Panna town, inculding the Dharam Sagar at the foot of the Madar tunga while others are located at Guara Banda and Panwari villages.” (वही – पृ. 164)
“Ragoli- the village stands on the edge of a fine lake.” (वही, पृ. 305)
“Bachhaun- There is a large tank called the Bhitariya – Tal, with a fine dam.” (वही, पृ. 266)
“Bijawar State – There are no very large lakes in the state but the Gora-Tal, Bhagwan, Rogoli, Patharguan, Bharatpur and kasar tanks remain full all the years around.” (वही, पृ. 274)
“Chhatarpur-State-The most note warthy tanks in the state are Jagat Sagar at Mau, Jhinna Tal in Lauri and Imlia-Ka-Talab in Rajnagar pargana. Beside these, there are numerous small tanks, through out the state but they generally dry up before the year is out” (वही, पृ. 310)
“Rath-Possesses a fine large tank called Sagar-Tal.” (हमीरपुर जिला गजेटियर, पृ. 280)
“Raisen- Raisen fort-there are four tanks and 48 wells.” (रायसेन जिला गजेटियर, पृ. 315)
“Bijaigarh (Jhansi) It also possesses a temple with a granite statue of siva and a large tank. which lies about half a mile west of the village.” (झाँसी जिला गजेटियर, पृ. 332)
“Bijauli (Jhansi) The village possesses an old tank covering an are a of about seventy acres.” (वही, पृ. 333)
“Dhauri Sagar (Jhansi) An expansive lake (which covers an area of 187 areas at the foot of the hill makes a picturesque approach to the village.” (वही, पृ. 337)
“Pawa (Jhansi) The village also contains two submergence tanks.” (- वही, पृ. 357)
“Bhadona- Six miles west from Tablehat in the village Bhadona in the fort at considerable height from the ground level there is very old baoli (well) which is in a fairly good state of repairs, its peculiarity being that it never dries up, not even the wells at a lower level have no water in them.” (वही, पृ. 363)
‘सन् 1829 ई. में स्लीमैन द्वारा कराये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार अंग्रेजी राज्य की स्थापना के पूर्व लोगों द्वारा लोकहित में 2286 तालाब 209 ऐसी बावड़ियाँ जिनमें ऊपर से लेकर नीचे तक सीढ़ियाँ बनी थीं, 1560 पक्के बँधे हुये कुएँ थे। उस समय इनकी अनुमानित लागत 8,66,640 पौण्ड आंकी गई थी।’ (चौमासा, पृ. 233) ध्यातव्य है कि यह आकड़े ब्रिटिश शासन के अधीनस्थ बुन्देलखंड के हैं। इनमें बुन्देलखंड की देशी रियासतों में विद्यमान तालाब बावड़ियों एवं कुओं की संख्या शामिल नहीं है।
‘बुंदेलखंड में पारंपरिक रूप से प्रत्येक गाँव में तालाब व कुएँ निर्मित हैं जिनका कालान्तर में पूर्णरूपेण एवं समयक रखरखाव न होने के कारण जल की उपलब्धता में कमी आई है।’ (प्यासा, बुंदेलखंड, पृ. 36)
‘उल्लेखनीय है कि 2001 की जनगणना के अनुसार बुदेलखंड के उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश सहित 21 जिलों की आबादी 2 करोड़ 81 हजार 972 थी। पिछले चार वर्षों के दौरान यह आबादी घटकर 1 करोड़ 34 लाख 73 हजार 37 हो गई है।’ (वही, पृ. 38)
‘चित्रकूट कालिंजर क्षेत्रों में रहने वाले राउत कलाप्रेमी थे। चंदेलकाल में रावतों ने तालाबों और मंदिरों का निर्माण कराया था।’ (मामुलिया, अंक 25-26 पृ. 96)