परमार एवं परिहार कालीन जल संरचनाएँ
January 28, 2025अन्य शासकों एवं जन सामान्य द्वारा निर्मित जल संरचनाएँ
January 28, 2025मराठों के अतिरिक्त मुसलमान आक्रान्ताओं का भी बुंदेलखंड के विभिन्न भू-भागों पर अधिकार रहा। जल संरचनाओं के निर्माण में वह भी कभी पीछे नहीं रहे।
‘बटियागढ़ के संस्कृत शिलालेखानुसार संवत् 1385 (1328 ई.) में सुल्तान मुहम्मद के समय जीव-जंतुओं के आश्रय हेतु एक गोमठ, एक बावली और एक बगीचा बनाया गया।’ (नागरी प्रचारिणी पत्रिका वर्ष 44, अंक 1, पृ. 76)
चंदेरी – ‘चंदाई बावड़ी (चंदेरी) का निर्माण मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी प्रथम के शासन काल में मेहताब खाँ मुल्तानी के गवर्नरकाल में चाँद वक्काल द्वारा हिजरी 864 (1437 ई.) में करवाया गया था। फारसी एवं संस्कृत भाषा के दो शिलालेख लगे हैं।’ पुरातत्व धरोहर चंदेरी, पृ. 95)
‘चंदेरी के उत्तर-पश्चिम में होज खास तालाब का निर्माण मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी के शासनकाल में हिजरी 872 (1467 ई.) में सुभान पुत्र यूसुफ खाँ द्वारा करवाया गया।’ (वही, पृ. 96)
‘चंदेरी की बत्तीसी बावड़ी का निर्माण माण्डू के ग्यास शाह खिलजी के राज्यकाल में हुआ।’ (नागरी प्रचारिणी पत्रिका वर्ष 44, अंक 1, पृ. 76)
‘कजयाई बावड़ी (चंदेरी) का निर्माण मालवा के सुल्तान ग्यासुद्दीन खिलजी द्वारा हिजरी 890 (1485 ई.) में करवाया गया।’ (पुरातत्व धरोहर चंदेरी, पृ. 98)
‘जनानन बावड़ी (चंदेरी) का निर्माण सुल्तान ग्यासुद्दीन खिलजी के शासनकाल में महाशिर किशनू द्वारा करवाया गया था। संस्कृत, फारसी के शिलालेख लगे हैं।’ (वही, पृ. 101)
‘हिजरी 902 (1497 ई.) चंदेरी में सिकन्दर शाह लोधी के पुत्र इब्राहिम शाह लोदी के शासनकाल में बावड़ी का निर्माण हुआ।’ (वही, पृ. 87)
डॉ. हरिहर निवास द्विवेदी द्वारा रचित ‘ग्वालियर राज्य के अभिलेख’ नामक पुस्तक से चंदेरी से प्राप्त अभिलेख जिसमें हमें चंदेरी में हिजरी 910 (1506 ई.) में माण्डू के सुल्तान महमूद शाह खिलजी के शासनकाल में एक तालाब के निर्माण कराने की जानकारी प्राप्त होती है।’ (वही, पृ. 97)
‘हिजरी 918 (1514 ई.) चंदेरी प्रस्तर लेख फारसी के अनुसार – माण्डू के सुल्तान महमूद शाह खिलजी के राजत्वकाल में तालाब का निर्माण हुआ।’ (वही, पृ. 87)
“Akbarpur – (Tahsil Kalpi) A temple dedicated to the Guru is situated close by on the side of a considerable tank. Rupan Baba was born in the time of Akbar and is said to possessed supernatural powers. He is reported to have started a new religion under the name of Niranjani and the emperor is said to have built tank and temple in his memory.” (जालौन जिला गजेटियर, पृ. 288)
‘धामोनी (सागर) के कुएँ में हिजरी 1024 का एक शिलालेख है, जिसके अनुसार मुगल सम्राट जहाँगीर के शासनकाल में (सन् 1615 ई.) में जाहिद मुहम्मद ने इस कुएँ का निर्माण कराया था। शिलालेख की अंतिम पंक्ति का हिन्दी रूपान्तर है – यह कुआँ अमरदान का है।’ (‘मधुकर’, वर्ष 4, अंक 15-16, पृ. 261)
‘चंदेरी में औरंगजेब के शासनकाल में हिजरी 1102 (सन् 1690) आजम खाँ ने एक बावड़ी, एक बाग तथा एक मस्जिद का निर्माण कराया था।’ (पुरातत्व धरोहर, पृ. 102)
चंदेरी ‘दुर्ग के पूर्व में तलैया, दक्षिण में लोहरा तालाब (ध्रुवया तालाब) उसके नीचे बंजारी तालाब के ठीक नीचे लाल बावड़ी और उसके नीचे सुल्तानिया तालाब है, जिसे मालवा के सुल्तान द्वारा बनवाया गया था। उसके नीचे थोड़ी दूरी पर मल्ल खाँ तालाब है, जिसका निर्माण चंदेरी के सूबेदार मल्ल खाँ द्वारा करवाया गया था।’ (वही, पृ. 95)
“Maudaha – There are five tanks at one which known as the Ilahi, a fair is held in the month of Jeth in honour of Syiyid Salar, who is generally know here as Ghaji Main.” (हमीरपुर जिला गजेटियर, पृ. 278)
‘दमोह – पुरेना तालाब का निर्माण मुसलमान काल में किया गया था।’ (दमोह जिला गजेटियर, पृ. 455)
“Banda – Nawab tank of Banda and the Nawab is said to have built the Tank.” (बाँदा जिला गजेटियर)
‘जतारा (टीकमगढ़) में स्थित फकीर की बावड़ी के नाम से मशहूर बावड़ी में अरबी भाषा का शिलालेख लगा है। मुआइनर बीजक से ज्यादा कैफियत नहीं मालूम होती, लेकिन इस कदर मालूम होता है कि दौलत खाँ के एहद में यह बावड़ी तैयार हुई। (सन् 1191 हिजरी)’ (बुंदेलखंड के शिलालेख, पृ. 42-43)
‘जतारा (टीकमगढ़) से पश्चिम में एक मील के फासले पर दौलतपुरा जंगल में बाउली बनी हुई है। उसमें भीतर चस्पा में हरूफ अरबी व फारसी में हैं और उसी के नीचे निसाव पत्थर में संस्कृत भी लिखा है। नक्काशी किसी किस्म की नहीं है, न ही कहीं दर्ज व शिगाफ है। चौखूँटा पत्थर है दौलत खान व तातार खाँ का नाम दर्ज है।’ इससे स्पष्ट है कि इस बावड़ी का निर्माण भी किन्हीं मुसलमानों द्वारा कराया गया। (बुंदेलखंड के शिलालेख, पृ. 45)
‘नया तालाब – (शहजादी का रोजा) परमेश्वर तालाब के निकट बने शहजादी रोजे के चारों ओर घेरे के रूप में बना हुआ है। यह रोजा एवं तालाब 15वीं सदी का है।’ (बुंदेलखंड के तालाबों एवं जल प्रबंधन का इतिहास, पृ. 99)
‘तालाब बेहजत खाँ, राम नगर-बेहजत खाँ तालाब चंदेरी नगर के दक्षिणी पार्श्व में राम नगर के पास स्थित है। इस तालाब का निर्माण 1520 ई. में चंदेरी के हाकिम बेहजत खाँ ने करवाया था।’ (वही, पृ. 100)
‘हौज-ए-खुशल्ला – यह चंदेरी के फतेहाबाद में है जो 15वीं सदी में बना था। इसे हौज-ए-कुचल्ला भी कहते हैं।’ (वही, पृ. 101)
‘हैबतपुरा तालाब – गरौठा तहसील के अंतर्गत हैबतपुरा ग्राम एवं तालाब मुगलकालीन प्राचीन ग्राम एवं सरोवर है। इस ग्राम एवं तालाब की स्थापना सन् 1548 ई. में युगल सरदार हैबत खाँ ने कराई थी।’ (वही, पृ. 106)