जालौन
February 3, 2025मुरैना
February 3, 2025भिण्ड नगर जिले का मुख्यालय है। इसे भिण्ड भदावर के नाम से जाना जाता है। वास्तव में यह भदौरिया राजपूतों (जिसे चौहान राजपूतों की एक शाखा के रूप में जाना जाता है) के अधिकार में बाईस पीढ़ियों तक रहा। भिण्ड में विद्यमान दुर्ग पृथ्वीराज चौहान के समय का है।
भिण्ड के गौरीताल के तट पर वन खण्डेश्वर महादेव का मंदिर है। यहाँ का दृश्य बहुत सुहावना है। कहा जाता है कि गौरी ताल का निर्माण चन्द्र बरदाई ने करवाया था। पत्थरों से निर्मित गौरी ताल के घाट अब जर्जर हो गये हैं।
अमहा
जनश्रुति के अनुसार चंदेल शासक परमर्दिदेव के एक प्रसिद्ध वीर मलखान बनाफर ने पृथ्वीराज चौहान की सेना से युद्ध कर सिरसागढ़ के दुर्ग के साथ इस ग्राम को जीता था। जनश्रुति के अनुसार उसी समय की एक बावड़ी यहाँ स्थित है। इसी के पास रेनुका देवी का मंदिर स्थित है।
दबोह
इस ग्राम से लगा हुआ कारधन तालाब है। जिसके घाटों का निर्माण बुन्देला शासकों द्वारा कराया गया था। इस तालाब की विशेषता यह है कि इसमें एक भी मेंढक नहीं मिलता है। इसी के पास देवी मंदिर है, जिसे आल्हा ऊदल के समय का माना जाता है।
इंदुरखी
इंदुरखी में एक विशाल दुर्ग है। दुर्ग के निकट ही एक गहरा (Octagonal) कुआँ है, जिसमें एक शिलालेख लगा है, इसमें 824 या 1824 अंकित है तथा महाराजाधिराजा, गाजा और कुछ सूर्यवंशी महाराज आदि अंकित हैं।
जैतपुर मारी
जैतपुर मारी ग्राम में एक प्राचीन मंदिर है, जिसमें पूजन-अर्चन हेतु निकटवर्तीय ग्रामों के लोग भी आते हैं। इसके पास दो छोटे-छोटे तालाब हैं।
भिण्ड
भिण्ड तहसील में विशालपुरा, लावन, अक्खा, बिरधानपुरा, हरकी, बाराकला तालाब स्थित हैं।
गोहद
गोहद तहसील में लालपुर, दंदराबा, तराली, झालोखेड़ी, बीरखेड़ी, खनेरा, सैगांव, बमराली खंडर, बाइकिले, बगरई, पिपर सोना, खटीका, झंकरी, तहायल, कमलापुर, सिंगवारी नं. 01, सिंगवारी नं. 2, नीमपुरा, धिरौंजी, कल्यानपुरा, अनाच, बखोली, इटायली, झुलारी, निबरल, भगवासा, सिरसोदोपुर, वीरखेड़ी नं. 03, अंतवा, सिरसपुर, छवेदी, गुमारा, मदरोली, जमदारा, लामी निनोली में तालाब स्थित हैं।
तहसील मेहगाँव
तहसील मेहगाँव में मनहद, पचेरा, लावन, कटवाहा, गधिया तथा कोनहार में तालाब स्थित हैं।
बीसवीं शताब्दी के आरंभ में 744 तालाब जिले में थे, किंतु यह छोटे-छोटे निस्तारी तालाब थे। सन् 1960-61 में जिले में 110 तालाब तथा 4,184 कुएँ थे। सन् 1971-72 में इनकी संख्या बढ़कर क्रमशः 185 एवं 4,767 हो गई थी, जिनसे सिंचाई होती थी।
(संदर्भ – भिण्ड जिला गजेटियर, पृ. 493-297, पृ. 315-316)