भिण्ड
February 3, 2025महोबा
February 3, 2025मुरैना जिले में अनेक उल्लेखनीय तालाब हैं। इन तालाबों से सिंचाई भी होती है।
बड़ौदा (Badoda)
यह श्योपुर तहसील का बड़ा ग्राम है। मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में यह ग्राम अजमेर सूबा के अंतर्गत ‘महल’ था। ग्राम से लगभग एक किलोमीटर के फासले पर ‘चन्द्र-सागर तालाब’ स्थित है। इस तालाब पर वर्ष में दो मेले लगते हैं। ‘तेजाजी’ नाम का बड़ा मेला भाद्र माह में मात्र एक दिन का लगता है। दूसरा इससे छोटा मेला ‘महाशिवरात्रि’ पर्व पर आयोजित होता है।
कोटवाल (Totwal)
मुरैना तहसील में स्थित यह एक प्राचीन ग्राम है, जो आसन नदी के तट पर एक पहाड़ी पर स्थित है। एक वर्ग किलोमीटर के विस्तृत क्षेत्र में यहाँ पुरासम्पदा बिखरी पड़ी है। इसका पुराना नाम कामंती भोजपुर था, जो कमान तालपुर के अंतर्गत आता था। कहा जाता है कि इसका नाम कांति भोज (कुंती के पिता) के नाम पर पड़ा है। कुंती का यहाँ जन्म हुआ और यहीं पर वह बड़ी हुईं। मंत्रों की शक्ति से सूर्य भगवान को यहाँ व्यक्तिगत रूप से आना पड़ा। यहाँ सूर्य कुण्ड नाम का एक कुआँ है। नदी के तट तक 120 फीट की गहराई तक पहुँचता है। कनिंघम ने इस ग्राम को 1400 BC का माना है। आसन नदी पर एक बाँध बनाया गया है, जो एक अच्छा पिकनिक स्पॉट है।
मुरैना (Murena)
नगर में ‘दाऊजी’ नाम का प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर के निकट एक तालाब है। यहाँ से कार्तिक मास में प्रतिवर्ष एक सर्प निकलता है, जिसे देखने भारी संख्या में दर्शनार्थी आते हैं। यहाँ तीन दिन तक मेला लगता है, जो भुंजरियों का मेला कहलाता है। पास ही में नरसिंह जी का मंदिर है, जहाँ प्रत्येक पूर्णमासी को मेला लगता है।
मुरैना में शनीचरा नामक पहाड़ पर शनिदेव का मंदिर है। यहाँ हर शनिवार को मेला लगता है। मंदिर के निकट एक प्राचीन कुंड है। मुंडन कराने पश्चात् दर्शनार्थी इस कुंड में स्नान कर मंदिर में शनिदेव की पूजा-अर्चना करते हैं।
परहावली (Parhawali)
मुरैना तहसील का यह एक पुराना गाँव है। कहा जाता है कि यह गाँव पुराजीत तोमर नरेश की राजधानी थी। जो कुंती के पिता कुंती भोज के भाई थे। जो महाभारत के युद्ध में कौरवों के विरुद्ध लड़े थे। ग्राम का पुराना नाम धारन एवं धारन कुतवार सुहानिया था। पारंपरिक रूप से ऐसा माना जाता है कि सुहानिया एक विशाल नगर था।
एक पुराने मंदिर को जाट राणा गोहद ने घेरकर एक गढ़ी का निर्माण कराया। एक चौआ कुआँ (Covered well) भूतेश्वर मंदिर के निकट स्थित है। यहाँ विष्णु एवं शिवलिंग के विशाल मंदिर विद्यमान हैं।
चौआ कुआँ के निकट एक गुप्तकालीन ध्वस्त मंदिर है, जो 6 फीट लंबा, 4 फीट 8 इंच चौड़ा है। इस मंदिर के ध्वंसावशेष के आधार पर यह कुआँ गुप्तकालीन प्रतीत होता है।
श्योपुर (Sheopur)
यह तहसील का मुख्यालय है। इस कस्बा की स्थापना सन् 1537 ई. में एक गौर राजपूत द्वारा की गई थी। उसने यहाँ एक दुर्ग का भी निर्माण कराया था। शिव भक्त होने के कारण उसने यहाँ अनेक शिव मंदिरों का निर्माण कराया। इन शिव मंदिरों के निकट बनवाये गये कुआँ एवं बावड़ी में भी शिवलिंग मिलते हैं।
इसके निकट स्थित ग्राम इटौनवारी के स्थापना के संबंध में कहा जाता है कि इस ग्राम की स्थापना उत्तानपाद जो ध्रुव के पिता थे, ने की थी। यहाँ दो कुंड विद्यमान हैं, जिनमें से एक का जल गर्म एवं एक का जल ठंडा है। यहाँ सिप नदी पर बना बंजारा बाँध 200 वर्ष पूर्व निर्मित माना जाता है।
इनके अतिरिक्त कैमारा कला, जवाहरगढ़ तालाब, टेरी तालाब, टोंगा तालाब, रामपुर कला तालाब, बमसुली तालाब, बड़वान तालाब, नथूपुरा तालाब, इकपुरा तालाब, चामरगनमा तालाब, रतेकापुरा तालाब, कोंडा तालाब, कोटिसिथरा तालाब, दुली तालाब, मथुरापुरा नया तालाब, गोपालपुर तालाब, मथुरापुरा पुराना तालाब, भोनसोरा तालाब, बामोरा तालाब, काछीपुरा तालाब, नरहेला तालाब, सिलालपुर तालाब, सिधौरिया तालाब, कुँवरपुरा तालाब एवं पगारा तालाब नामक अनेक तालाब मुरैना जिले में विद्यमान हैं। इन तालाबों से सिंचाई भी की जाती है।