झाँसी
February 3, 2025भिण्ड
February 3, 2025जिला-जालौन में यमुना, बेतवा, पहूज, क्वारी एवं सिंध नदियाँ प्रवाहित होती हैं। यह जिला इन सब नदियों का मिलन स्थल है। जालौन जिले की भूमि समतल है। ऐसी स्थिति में यहाँ तालाबों के निर्माण की ओर शासकों द्वारा ध्यान न दिया जाना स्वाभाविक है। जिले में कुछ गिने-चुने तालाब हैं, जिनका विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है।
अकबरपुर
यहाँ गुरु रूपन बाबा का एक मंदिर है, जो एक तालाब के किनारे पर स्थित है। रूपन बाबा के नाम पर यहाँ प्रति वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की पंचमी से एक मेला लगता है। यह मेला पन्द्रह दिनों तक भरा रहता है। कहा जाता है कि सम्राट अकबर ने इस मंदिर और तालाब का निर्माण कराया था।
कौंच
कौंच के चन्द कुएँ के संबंध में कहा जाता है कि इसका निर्माण चन्दवरदाई ने कराया था। जो देहली के शासक पृथ्वीराज चौहान का राजकवि था। पुराने तालाबों के पास एक छोटा तालाब है, जिसे चौराका तालाब कहते हैं। इसके निर्माण के संबंध में कहा जाता है कि इसका निर्माण दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान के सेनापति चम्पत राय ने कराया था। नगर में गोविन्द राव मराठा द्वारा बनवाया हुआ सागर तालाब भी है।
उरई
उरई में कानपुर-झाँसी मार्ग के दक्षिणी भाग में एक सुंदर बड़ा तालाब विद्यमान है। जो माहिल का तालाब कहलाता है। ऐसा कहा जाता है कि माहिल ने इसका निर्माण कराया था। यह 1.2 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है। इसकी गहराई 2 से 4 मीटर तक है। तालाब साल भर भरा रहता है, जो स्नान की दृष्टि से उत्तम है। तालाब पर थनदेश्वरी का मंदिर है तथा हनुमानजी की प्रतिमा प्रतिष्ठित है।
टिमरो की बंधिया
उरई से 15 कि.मी. दूर यह ग्राम स्थित है। यहाँ पानी की किल्लत सदैव बनी रहती है। एक कहावत यह प्रचलित है- ‘बावन कुआँ, चौरासी ताल, तोउ टिमरो में परो अकाल।’
कालपी
यद्यपि यह यमुना नदी के तट पर स्थित है जो सदानीरा है। फिर भी नगर के मध्य में सन्दल नाम का एक छोटा-सा तालाब विद्यमान है।
जिला जालौन में 313 तालाब हैं।
शिवपुरी
शिवपुरी नगर जिला का मुख्यालय है। शिवपुरी नगर में ही छोटी-बड़ी तीन झीले हैं। सखया सागर (Sakhya) (चाँदपाठा) जाधव सागर एवं भगोरा ताल शिवपुरी नगर की शोभा को चार चाँद लगाते हैं। ज्ञातव्य है कि वर्तमान शिवपुरी जिला प्राचीन ग्वालियर रियासत का भू-भाग था तथा यहाँ आबोहवा के आधार पर यह ग्वालियर रियासत की ग्रीष्मकालीन राजधानी था। शिवपुरी की राष्ट्रीय उद्यान के कारण एक विशेष पहचान है।
दिनारा
करेरा तहसील का एक प्रमुख ग्राम है। ओरछेश वीरसिंह जूदेव ‘प्रथम’ (1005-27) ने यहाँ एक विशाल सरोवर का निर्माण कराया था जो ‘देव सागर’ के नाम से जाना जाता है। देव सागर तालाब के बंधान पर एक शिलालेख लगा है, जिसमें इस तालाब के निर्माण संबंधी जानकारी दी गई है। यथा –
गहिरवार कासीसुरा वीर सिंह के राज।
पंडित कन्हरदास सह फुरमाये सो काज ।।
रजधानी जहांगीरपुर प्रजा सुखी सुख साज।
जागि धर्म सुभ कर्म सब, होत नृपत के राज ।।
सोरा सै पचहत्तरा, माघ पुस्य रविवार।
हिन्दु तुरक जू उथपै ताहि तलाक हजार।।
(अक्षत चंदन, डॉ. रामनारायण शर्मा अभिनंदन पंथ, पृ. 264-265)
ध्यातव्य है कि ओरछेश वीरसिंह जूदेव ने ओरछा का नाम बदलकर जहाँगीरपुर रख दिया था, किंतु यह नाम उनके शासनकाल में ही प्रचलित नहीं हो सका था और बाद में तो वह पूरी तरह भुला दिया गया। वीरसिंह ने अपने नाम वीरसिंह देव के नाम से क्रमशः ‘वीर सागर’, सिंह सागर’ एवं ‘देव सागर’ तालाबों का निर्माण एक साथ करवाया था। वर्तमान समय में इस तालाब से 1,517 एकड़ भूमि की सिंचाई होती है।
मामोनी
बरद्वाहा में प्रवीण सागर का निर्माण ओरछा के कार्यकारी नरेश इन्द्रजीत सिंह (1592-1605 ई.) ने अपनी प्रेयसी राय प्रवीण के नाम पर कराया था। ज्ञातव्य है कि इन्द्रजीत सिंह को पिछोर की जागीर मिली थी। राय प्रवीण के जन्म स्थान बरद्वाहा में उसकी स्मृति को स्थायी बनाये रखने की दृष्टि से इसका निर्माण कराया गया था।
नरवर
एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ के दुर्ग के संबंध में एक कहावत प्रचलित है कि ‘नरवर चढ़े न बेड़नी, ऐरच पके न ईंट’ मध्यप्रदेश के पर्यटक स्थलों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। किले में जल व्यवस्था हेतु अनेक साधन हैं। एक विशाल बावड़ी उल्लेखनीय है।
पोहरी
एक प्राकृतिक स्थल है। यहाँ से 3 कि.मी. दूर प्रवाहित एक सरिता के तट पर केदारेश्वर नाम का एक गुफा मंदिर है। नगर में तालाब के मध्य राधा-कृष्ण का मंदिर आकर्षण का केंद्र है।
सुरवाया
सुरवाया के प्राचीन दुर्ग में तीन हिन्दू मंदिर एक हिन्दू मठ के साथ एक प्राचीन बावड़ी है। जो उस समय दुर्ग की जलापूर्ति का साधन थी। मंदिरों का निर्माण आर्य भट्ट (इंडो आर्यन) शैली में हुआ है। शिखर युक्त इन मंदिरों की रचना यात्रियों को आकर्षित करती है।
जिले में निम्न विवरण अनुसार तालाब विद्यमान हैं, जिनसे सिंचाई की जाती है।
शिवपुरी
तहसील में चाँदपाठा, बूढी बरौद, इमलिया, सेवढ़ा, मोहनगढ़, बंकखेड़ी, बीहट मानिकपुर, रायचंद खेड़ी, भगोरा-माधौ, मुन्जवार, सिंगनवास, खोवट, भानगढ़ तालाब स्थित हैं।
कोलारस
कोलारस तहसील में रामनगर, सेसइ, डूडा, सखनोर, अनवारा, अखाझिरी तालाब स्थित हैं।
पोहरी
पोहरी तहसील में पिपलोदा, डिगडोली, भटनावर, लैगला, टोरा, भैसरावन, पिपरधार एवं बैराड तालाब स्थित हैं।
करैरा
करैरा तहसील में करैरा, अन्डेर, सीरोंद नं. 2, हॉथई, रामगढ़ा, अलगी, नराही, जिगना, हतलई, दामइ, सेमरा, समोला, सतारी, खिरिया, पूनावटी, टोरा, डुमगुना, चिन्नौद, कोडरा, बरखेड़ा, गदहई, भीवी, बरसोंड़ी, शेरगढ़, जनदा, रायपुर-देहला, फतेपुर, गोपालिया, सिरकइपुर, राजगढ़, दिगवास, तालाब स्थित हैं।
पिछौर
पिछौर तहसील में पारोंच, खोदनण्य, सैमरी, खोद नं. 1, कचवाहा, डिरगुवा, पडोरा, भिटनगुवाँ, फतेहपुर पिछौर, हरया, फूटीबर, नागदा, खोंद नं. 2, बीरा, छत्तरा गूदर, देवखो बिजरावन, झलोनी, हदूखोन, चमरौआ तालाब स्थित हैं।
(संदर्भ – शिवपुरी जिला गजेटियर, पृ. 358, 362-365, 397-399)