1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में झाँसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई के बलिदान के कारण झाँसी का नाम इतिहास ग्रंथों में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। झाँसी जिले में अनेक महत्त्वपूर्ण तालाब हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित अनुसार है
अड़जार
अड़जार में ओरछा नरेश सुजान सिंह (1753-72 ई.) ने अपने नाम पर ‘सुजान सागर’ तालाब का निर्माण कराया था और उसके निकट बगीचों का निर्माण कराया था। निर्माण संबंधी तीन शिलालेख सुजान सागर बाँध पर लगे हैं। एक शिलालेख ध्यातव्य है –
हीरा दे रानी उदर, उपजे सिंह सुजान। तिनकी गृहरानी भईं, बृज कुमारि शुभज्ञान ।। तीरथ व्रत कीर्नें सबै, बृज रानी घर ध्यान। जस प्रकट्यो नवखंड में, भक्त दान सम्मान ।। नंदन वन अमरावती, बाग लगे तट पास। शरद फूल फल सारिका, सज्जन करत विलास ।।
बरुआसागर
ओरछा नरेश उदोत सिंह (1689-1736 ई.) ने बरुआ नाला को बाँधकर अपने नाम पर एक ‘उदोत सागर’ का निर्माण कराया था। बरुआ नाले पर बने इस सागर समान सरोवर के नाम पर ग्राम का नाम ही बरुआ सागर पड़ गया।
भसनेह
भसनेह में सन् 1618 ई. में भसनेह के जागीरदार विजयसिंह बुंदेला अपने नाम पर ‘विजय सागर’ तालाब का निर्माण कराया था।
लहचूरा
धसान (दशार्ण) नदी पर 2210 फीट लंबा बाँध बनाकर एक विशाल डेम का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में सन् 1908 ई. में हुआ था।
पचवारा
पचवारा में चंदेलकालीन एक बहुत विशाल तालाब है। जो देखरेख के अभाव में गोंद से भरता जा रहा है। अपने प्राचीन वैभव पर आँसू बहाता यह सरोवर अपने उद्धार की बाट जोह रहा है।
रौनी
रौनी में चंदेलकालीन दो तालाब हैं। प्रथम तालाब निस्तारी ताल है तथा दूसरा बड़ा तालाब है, जहाँ केदारेश्वर महादेव का मंदिर इसके निकट ही स्थापित है।
तेजपुरा
तेजपुरा यहाँ एक चंदेली तालाब है। तालाब के बाँध पर प्राचीन शिवमठ सुशोभित है।
विजयपुर
विजयपुर ग्राम में एक चंदेली तालाब है, जिसका निर्माण चंदेल शासक विजय शक्ति वर्मन ने कराया था।
कटेरा का नंदपुरा तालाब भी चंदेल शासनकाल का है।
उपर्युक्त तालाबों के अतिरिक्त धर्मशाला तालाब, कैथा तालाब, ढिकोली तालाब, बलखेड़ा, बम्हौरी, विजयगढ़, पिपरा, गरौठा, बलखेड़ा, चुरारा, घुराट, किसनी बुजुर्ग, कुंजा ताल, नबादा ताल, पलार ताल, सियावरी, जेर अष्टाताल बैरवार, दुगाडा, मरगुवां, परसुवां, मगरवारा, बिलहरी खरकी, संगोली खौड़ जसपुरा सिजारी आदि तालाब हैं। जिला झाँसी में 145 तालाब हैं।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।