दाँगी कालीन जल संरचनाएँ
January 25, 2025बुन्देला कालीन जल संरचनाएँ
January 25, 2025बुंदेलखंड भू-भाग पर सन् 740 ई. से तेरहवीं शताब्दी के बाद तक चंदेलों का शासन रहा है। चंदेल शासकों द्वारा सर्वाधिक जल संरचनाओं का निर्माण कराया गया था। यह जल संरचनाएँ इतनी सुदृढ़ थीं कि उनमें से अधिकांश संरचनाएँ वर्तमान समय में विद्यमान हैं, जिनका उपयोग कृषि कार्य के अतिरिक्त मछली पालन, कमल एवं सिंघाड़ा उत्पादन तथा पेयजल की व्यवस्था के रूप में हो रहा है।
‘चंदेल राजाओं ने सर्वप्रथम दक्षिणी बुन्देलखंड में बेतवा से केन नदियों के मध्य के शुष्क, लम्बे, अविकसित क्षेत्र को वर्षाती सतही जल संग्रहण योजना (वर्षा का बहता पानी को रोकने की नीति) के द्वारा शुष्क भूमि को कृषि कर्म लायक बनाने और कृषि के साथ-साथ पशु पालन व्यवस्था में वृद्धि के प्रयास किये थे।’ (बुंदेलखंड का सामाजिक-आर्थिक इतिहास, पृ. 143)
मुंशी ईश्वरी प्रसाद के अनुसार – ‘चन्द्रब्रह्म, हरब्रह्म ने पाँच सौ कुओं और एक सौ तालाबों, मानब्रह्म (भास्कर वर्मन) ने बहत्तर तालाबों का, जयशक्ति ब्रह्म ने चार सौ तालाब एवं पाँच सौ कुओं तथा शक्ति ब्रह्म ने एक सौ तालाब एवं एक सौ कुओं का निर्माण कराया था।’ (आल्हा समर सारावली, पृ. 34)
बुंदेलखंड में चंदेली तालाबों के निर्माताओं में राहिल प्रमुख था। ‘राहिल ने अजयगढ़ में तालाब और मंदिर बनवाये।’ (बुंदेलखंड का वृहद इतिहास, पृ. 37)
‘राहिल ने बाँदा के पास रासिन नामक ग्राम बसाकर अनेक सरोवरों का निर्माण कराया था।’ (प्यासा बुंदेलखंड, पृ. 29) किंवदंती के अनुसार यहाँ 80 तालाब थे। जनरल कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट में 19 तालाबों की सूची दी है। इनमें ‘अधिक ताल’ अधिक प्रसिद्ध है। (चंदेल कालीन बुंदेलखंड, पृ. 213)
MAHOBA- “Rahila the Vth of the dynasty, whose lake” Rahila Sagar” with a granite temple dedicated to Sun God on its bank lies 3 km to the South-West of Mahoba.” (हमीरपुर जिला गजेटियर, पृ. 273)
‘यशोवर्मन (930-950 ई.) ने कालिंजर दुर्ग में ‘कोट तीर्थ’ नामक सरोवर का निर्माण कराया।’ (प्यासा बुंदेलखंड, पृ. 29) खजुराहो का ‘शिवसागर’ उसी ने बनवाया था। चंदेल शासक धंग के संवत् 1059 विक्रमी के शिलालेख में यशोवर्मन द्वारा सरोवर निर्माण का उल्लेख है।’ यथा –
‘सगरस्य सागर विधा वाकर्ण्य तूर्णं सुघीः स्पर्धा वानघिकं व्यधत्त जल हो बैल्वं तड़ागार्णवरम् । ।38 ।।’ (खजूर वाहक वर्तमान खजुराहो, पृ. 32)
‘यशोवर्मन के पौत्र देवलब्धि ने ललितपुर के निकट दूधई ग्राम में रामसागर’ तालाब का निर्माण कराया।’ (प्यासा बुंदेलखंड, पृ. 30) “The Khajuroho inscription V.S. 1011 (954 AD) for example, refers to the construction of embankment to divert the course of a river (V. 26) evidently for the benefit of the peosontry concerned. Expression like “nalla” (canals) “Puskerini” (tanks) and bhite (embankment) are met with indifferent chandella records. These were usually located near the cultivable of lands apparently to supply water to the fields.” (Dr. Sisir Kumar Mitra- The early rulers of Khajuroha, Page 110).
विजय वर्मन (1040-50) ने महोबा, वारीगढ़ एवं सैदपुर में ‘विजयसागर’ नामक तालाबों का निर्माण कराया था। यथा –
“The Vijai Sagar Lake was built by the Chandella ruler Vijaipal.” (हमीरपुर जिला गजेटियर, पृ. 274)
कीर्ति वर्मा (1053-1100) ने भी महोबा में कीर्तिसागर का निर्माण कराया था। यथा –
‘किले के नीचे पश्चिम और दक्षिण में कीर्तिसागर नामक पुराना तालाब है। यह किला और तालाब कीर्ति सिंह का बनवाया हुआ है।’ (‘मधुकर’ वर्ष 2, अंक 16, पृ. 13)
‘सलक्षण वर्मन (1100-1128 ई.) ने सरकनपुर ग्राम बसाकर दो तालाबों का निर्माण कराया था।’ (प्यासा बुंदेलखंड, पृ. 30)
मदन वर्मन (1129-1165 ई.) ने साम्राज्य भर में विभिन्न आकार-प्रकार के अनेक जलाशयों का निर्माण कराकर जो लोकप्रियता अर्जित की, वैसी कोई अन्य चंदेल शासक प्राप्त नहीं कर सका। उसके नाम से विख्यात ‘मदन सागर’ नामक अनेक विशाल सरोवर पूरे बुंदेलखंड में विद्यमान हैं। यथा –
‘महोबा के निकट जो सुंदर तालाब मदन सागर नाम का है, वह इसी का बनवाया हुआ है।’ (बुंदेलखंड का संक्षिप्त इतिहास, पृ. 51)
“Jatara- The lake in this case of great size, being about 1-1/ 2 mile long by 1 broad, with same small is lands at the near the town. It is retained by two dams of no great length, closing the only gaps in a semicircle of hills. These dams were built by the Chandella Chief Madana Varman (1129-67) after whom the lake is called Madan Sagar.” (Captain C.E. Luard- Eastern States Bundelkhand Gajetter, Page 74
मदन वर्मन ने मदनपुर गाँव बसाया था।
“Madanpur – These structure over look an extensive lake (67 acres in area) of Chandella time.” (झाँसी जिला गजेटियर, पृ. 353)
मदन वर्मन ने अहार में मदन सागर तालाब बनवाकर बाँध पर मदनेश्वर का विशाल शिवमठ निर्मित कराकर उसका ‘मदनेश सागरपुर’ नाम रखा था। कालान्तर में यह शिवमठ ध्वस्त हो गया। मदन सागर नाम से उनके द्वारा बनवाया गया विशाल सरोवर विद्यमान है। मदन वर्मन द्वारा बनवाई गई ‘सीढ़ीदार वेरे’ (बावड़ियाँ) ‘मदन बेर’ के नाम से यत्र-तत्र अब भी विद्यमान हैं। यथा –
‘बल्देवगढ़ अहार, पपावनी, झिनगुँवा, जिनागढ़ (जिला – टीकमगढ़) आदि। दो पहाड़ों के मध्य बाँध बनवाकर ग्वाल सागर तालाब ग्वालों के सहयोग से बनवाकर बाँध नाम से बस्ती आबाद की थी, जो कालान्तर में बल्देवगढ़ के नाम से प्रसिद्ध हुई। यहाँ उसने ‘मदन’ बावड़ी का निर्माण कराया।’ (बुंदेलखंड का वृहद इतिहास, पृ. 41)
‘परमर्दि देव (परमाल देव सन् 1165-1202 ई.) ने अजयगढ़ में अजयपाल तालाब और मंदिर बनवाये थे।’ (वही, पृ. 41) वीर वर्मन ने अपनी रानी कल्याणी के नाम पर कल्याण सागर खंडीपुर क्षेत्र में बनवाया था। (वही, पृ. 41)
“Ajaigarh – Many tanks exist on the summit and sides of hill, several still giving a good supply of pure water.” (Captain C.E. Luard-Eestern States (Bundel Khand) Gajetters, Page 265)
“The Kalyan Sagar constructed by Veer Varman (1242-1286 AD) and named after his wife Kalyan Devi.” (हमीरपुर जिला गजेटियर, पृ. 276)
“Jaitpur- within a short distance of Jaitpur to the east is a large tank known as Bela Jal which is said to have been built by Bala Varman the Chandel ruler. It has a circumference of nearly nine miles and is of considerable depth” (वही, पृ. 268)
‘महोबा के खंडित शिलालेख में जो वर्तमान में राजकीय संग्रहालय में सुरक्षित है, में भी बेला ताल जैतपुर का उल्लेख है।यथा‘मलामतानि बेला पयोनिधि तटानि समुल्लसंति। 115’
“Kabrai – There are some intersting relies in Kabrai. The chief of those is the Brahm Tal, an extensive tank now greatly silted up, but which one must have been a fine lake. It is said to have been built by Chandela Raja Bala Varman.” (हमीरपुर जिला गजेटियर)
“Kari – A tank called Deep Sagar made by the Chandella is situated here.” (Captain C.E. Luard- Eestern States (Bundel Khand) Gajetters, Page 78)
ज्ञातव्य है कि कारी (टीकमगढ़) के ‘दीप सागर’ नामक इस तालाब पर एक शिलालेख लगा है, जिसमें तालाब निर्माण एवं निर्माता की जानकारी दी गई है। यथा –
‘संवत् 1446 भादो सुदी 8 रबउ श्री बेटी दीप कुँवर ने ताल बनवायो ताल को नाम दीप सागर।’ (बुंदेलखंड के शिलालेख, पृष्ठ 27)
उपर्युक्त तालाबों, बावड़ी के अतिरिक्त अनेक ऐसे चंदेली तालाब हैं, जिनके निर्माताओं एवं निर्माणकाल की जानकारी प्राप्त नहीं होती है। उनके चंदेली होने मात्र का उल्लेख मिलता है। यथा –
‘खजूर सागर को नैनौरी ताल के नाम से पुकारा जाता है। यह खजुराहो के समीप स्थित है। शिवसागर खजुराहो का निर्माण यशोवर्मन ने कराया था। पातालगंगा, पाण्डुकुण्ड, बुढ़िया ताल, मृगधारा, कोट तीर्थ, कालिंजर इन तालाबों के अतिरिक्त जयपुर, सिरवां, बरांव, मैहर, मऊ, कोंच तथा अन्य स्थानों में अनेक तालाब हैं।’ (चंदेलकालीन बुंदेलखंड, पृ. 212-14)
“Mawai-A tank and two Chopras of Chandella peiriod stands in the village.” (Captain C.E. Luard – Eestern States (Bundel Khand) Gajetters, Page 80)
‘बादी कनोदा (दमोह) चंदेलों द्वारा निर्मित एक बड़ा तालाब है।’ (दमोह जिला गजेटियर, पृ. 458)
“Bansi- There are in the place two old tanks one of which is said to have been built by the Chandella.” (झाँसी जिला गजेटियर, पृ. 329)
‘Haibatpur- The old Chandella tank sitted up.’ (वही, पृ. 343)
“Kargawan- an old Chandella well.’ (वही, पृ. 349)
‘Lewa-contains a Chandella booli (well)’ (वही, पृ. 352)
‘Madanpur-These structure overlook an extensive lake (67 acres in area) of Chandella time.’ (वही, पृ. 353)
‘Thanware-A baoli-other Chandellaa remains found in the village.’ (वही, पृ. 364)
‘Gonda – a considerable tank but has long since been breached and is commonly known as the “Phuta Tal”. It is doubtless of Chandella Origen.’ (बाँदा जिला गजेटियर, पृ. 287)
‘Barha- a chandella tank called Phutma Tarsa.’ (वही, पृ. 281)
“Rasin-Several good tanks. These are clearly of Chandella origin.’ (वही, पृ. 302)
“Ahar- A tank of Chandella days with a fine dam stand’s here. (Captain C.E. Luard- Eestern States (Bundel Khand) Gajetters, Page 72)
‘Makarbai- There is also a old tank (Chandella)? (हमीरपुर जिला गजेटियर, पृ. 277)
‘Barha kotra- There is a large breach of Chandella tank called “Phutna Tarasa.” (बाँदा जिला गजेटियर, पृ. 282)
‘चंदेलों ने इतनी अधिक संख्या में झीलें बनवाईं कि उनकी अमिट छाप आज भी प्रत्येक विन्ध्यवासी पर अभिनव है। चंदेलों के सरोवर अपेक्षाकृत अधिक टिकाऊ और वैज्ञानिक हैं।’ (चंदेल और उनका राजत्वकाल, पृ. 13)
इन जलाशयों के निर्माण से एक ओर जहाँ प्राणियों विशेषकर मनुष्यों को निस्तार की सुविधा प्राप्त हुई, वहीं दूसरी ओर सहस्त्रों एकड़ भूमि की सिंचाई से विपुल मात्रा में अन्न उत्पादन भी होने लगा। एक तीसरा और अति महत्वपूर्ण लाभ यह भी हुआ कि –
“These lakes and tanks have proved to be of great value particularly during season of low rainfall a part from checking soil erosin they raise the water level in the neighbourhood.” (झाँसी जिला गजेटियर)
‘बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिला में 962 चंदेली तालाब विद्यमान हैं।’
‘कुंडार की किला पहाड़ी के पश्चिमी पार्श्व में छोटा चंदेली ‘सुजान सागर’ तालाब है। किला के उत्तरी पार्श्व में ‘डाबर झोर’ नामक तालाब चंदेलकालीन ही है।’ (बुंदेलखंड के तालाबों एवं प्रबंधन का इतिहास, पृ. 50)
‘बम्हौरी बराना के केवल सागर तालाब का निर्माण ‘केवल’ नामक चंदेल ने करवाया था। थरबराना का धर्म सागर तालाब चंदेलकालीन है।’ (वही, पृ. 50-55)
‘दौनीग्राम में स्थित ‘द्रोण सागर’ चंदेलों द्वारा निर्मित है।’ (वही, पृ. 69) जगतसागर मऊ सहानिया, ‘इमलिया तालाब’ ग्राम इमलिया, राम सागर लौंड़ी, आमखेरा तालाब, राई पुरा तालाब, धौला ताल पिपट, मोती सागर पिपट, बंसिया ताल, जोरनताल, बक्सोई ताल, नंदगाँव ताल, लालपुर तालाब, गोरा सागर, गोरा, रंगोली, पथरगुवां, नैनागिर तालाब, गढ़ी मलहरा तालाब, महाराजपुर, बसारी, पोखना तालाब, खोई तालाब, सटई तालाब, कूडन तालाब देरी, उजरा सागर, उजरा, खौंप सागर, राईपुरा तालाब, भैसरवार तालाब आदि तालाबों का निर्माण चंदेल नरेशों तथा उनके सामंतों द्वारा कराया गया।’ (वही, (छतरपुर जिले के तालाब), पृ. 65-76)
‘बाँध जिले में स्थित फुटना ताल बड़ा कटोरा, फूटा ताल, मौदहा चंदेल कालीन हैं। (वही, पृ. 130) झाँसी जिले में स्थित बिजोली, गैराहा, कचनेव, तेजपुर कोछा भाँवर रौनी एवं पचगढ़ में विद्यमान तालाब चंदेलकालीन हैं।’ (वही, पृ. 102-108)