दतिया
January 30, 2025पन्ना
January 30, 2025सन् 1907 में प्रकाशित ईस्टर्न स्टेट (बुन्देलखंड) गजेटियर में छतरपुर राज्य के तालाबों के संबंध में उल्लेख है कि – “The most notewarthy tanks in the state are Jagat Sagar at Mau, Jhinna Tal in Lauri and Imlia ka Talab in Rajnagar pargana. Beside these there are numerous small tanks throughout the state but they generally dry up before the year is out. In the town of Chhatarpur itself there are notless then six tanks, the largest called Pratap Sagar.”
छतरपुर
जिस प्रताप सागर का उल्लेख उपर्युक्त वर्णन में हुआ है उसका निर्माण छतरपुर नरेश प्रताप सिंह (1816-54 ई.) ने कराया था। प्रताप सिंह ने भी एक और तालाब ‘किशोर सागर’ का निर्माण छतरपुर में कराया था।
प्रताप सिंह द्वारा इन तालाबों के निर्माण से पूर्व हिम्मत राय ने जिन्हें ‘राव’ की उपाधि प्राप्त थी, ने राव सागर तालाब का निर्माण कराया था। इन तीन तालाबों के अतिरिक्त छतरपुर नगर में 1. ग्वाल मगरा, 2. सांतरी तलैया, 3. रानी तलैया नामक तीन और तालाब भी हैं। इस प्रकार छतरपुर नगर में 6 तालाब विद्यमान हैं।
15 अगस्त, 1947 को देश की स्वतंत्रता के पश्चात् बुन्देलखंड स्थित देशी रियासतों को भी आजाद होने का अवसर मिला। विन्ध्य प्रदेश राज्य निर्माण होने पर छतरपुर राज्य के साथ उसके सीमावर्ती छोटे-छोटे राज्यों को भी छतरपुर को जिला बनाते समय इसमें शामिल कर लिया गया।
इनमें आलीपुरा राज्य, चरखारी राज्य का कुछ भू-भाग बिजावर राज्य, गरौली राज्य, गौरिहार राज्य, लुगासी राज्य, नैगुवा रबई राज्यों का विलय छतरपुर जिले में हो गया। इसके अतिरिक्त कुछ भू-भाग पन्ना राज्य एवं अजयगढ़ राज्यों का भी छतरपुर जिला में समाहित हो गया। इससे छतरपुर जिले के क्षेत्रफल एवं सीमाओं का विस्तार हुआ।
खजुराहो
छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो विश्व के कुछ इने-गिने पर्यटक स्थलों में से एक है। चंदेल शासनकाल में यहाँ अनेक मंदिरों के साथ सरोवरों का भी निर्माण कराया गया। खजुराहो में 1. खजूर सागर, 2 शिव सागर, 3. नैनौरा ताल विद्यमान हैं। मंदिरों के पश्चिमी समूह की ओर प्रेम सागर तालाब तथा खजुराहो बस्ती के पास बलखंडी नामक तालाब है।
राजनगर
खजुराहो के ही निकट छतरपुर पूर्व राज्य की राजधानी राजनगर में जलसेना एवं थनेरा मुख्य तालाब स्थित हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कई और छोटे-छोटे तालाब यहाँ हैं।
राजगढ़ में
1. तकिया का तालाब, 2. भवानी तालाब, 3. कजलिया तालाब विद्यमान हैं। सन् 1925-26 में छतरपुर के तत्कालीन नरेश विश्वनाथ सिंह ने इन तालाबों एवं राजगढ़ दुर्ग की मरम्मत का कार्य कराया था।
मऊ सहानिया
पन्ना राज्य तथा छतरपुर नगर के संस्थापक महाराज छत्रसाल की अघोषित राजधानी रही मऊ सहानिया में सुप्रसिद्ध जगत सागर एक प्राचीन तालाब है। तालाब के मध्य में सूर्य मंदिर सुशोभित है।
मध्यप्रदेश के सुप्रसिद्ध पुरातत्व संग्रहालयों में परिगणित धुवेला पुरातत्व संग्रहालय मऊ सहानिया में ही स्थित है। जो धुवेला (ध्रुव सागर) के बाँध पर ही निर्मित है। पुरातत्व संग्रहालय के साथ ही धुवेला तालाब भी यात्रियों के आकर्षण का केंद्र है।
जटाशंकर
बुन्देलखंड के सुविख्यात शिवालयों में से एक बिजावर तहसील में स्थित जटाशंकर धाम के ऊपरी भाग में भी एक तालाब विद्यमान है। पहाड़ के ऊपर स्थित यह तालाब कभी सूखता नहीं है।
निवारी
छतरपुर के निकट स्थित निवारी का ‘खौंप ताल’ तो छतरपुर नगर की जलापूर्ति का प्रमुख जलाशय है। यह छतरपुर नगर से मात्र 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
दोनी
प्राचीन चंदेलकालीन ग्राम दोनी में ‘दरोना ताल’ विद्यमान है।
बिजाबर का ‘राजा तालाब’ तो नगर की शोभा में चार चाँद लगाने का कार्य करता है। कृष्ण सागर तालाब के अतिरिक्त रमना तालाब, पठार तालाब तथा नया ताल नगर के निकट स्थित हैं।
खटौला जो कभी गोंड शासकों के आधीन रहा है, में किला एवं पूरी बसाहट पहाड़ पर ही थी। पंद्रहवीं सोलहवीं शताब्दी में अपनी बस्ती के निवासियों की जलापूर्ति हेतु ऊँचे पहाड़ों पर 52 कुआँ, 84 बावड़ी एवं अनेक तालाबों का निर्माण समकालीन शासकों ने यहाँ कराया था। इनमें से अधिकांश जल संरचनाएँ पूर्णतः नष्ट होने की कगार पर हैं, तो कुछ अभी भी अपना अस्तित्व बनाये हुये हैं।
उल्लेखनीय है कि गोंड नरेश इस क्षेत्र में न सिर्फ स्वयं तालाब बनवाते थे, बल्कि तालाब बनाने वाले दूसरे लोगों का भी सम्मान करते थे। यहाँ के गौड समाज का तालाब निर्माण से गहरा सम्बन्ध रहा है।
भगवाँ में गोरा ताल, थरा का राधा सागर, बंधा का लक्ष्मण सागर, ईसानगर का बडौरा ताल, पनागर का लुहरिया तालाब, बगौता का नैना सागर (विशाल तालाब), गोटा का गोरा ताल, सरवई का बनियाताल, नौगांव (करारागंज) का भुजरया तालाब, गौरिहार का शिव सागर, बडौरा कलां का तुलाताल, गढ़ी मल्हरा के सुख सागर, रानी ताल, नया ताल, दामोतीपुरा की तलैया अपने-अपने क्षेत्र में निस्तारी तालाबों के रूप में विद्यमान है। कुछ तालाबों से उनकी क्षमतानुसार सिंचाई की सुविधा किसानों को प्राप्त है।
इनके अतिरिक्त सिमरिया, बृजपुरा, इमलिया, हरवाहा, पनवाड़ी, भरतपुर बैडार, मोली, हीरापुर, भिला ताल, रंगोली ताल, पठार कुआँ ताल भी छतरपुर जिले में विद्यमान हैं। सामान्यतः 4-6 गाँवों के मध्य एक न एक तालाब तो बुंदेलखंड में होता ही है।