छतरपुर
January 30, 2025सागर
January 30, 2025सन् 1907 में प्रकाशित ईस्टर्न स्टेट (बुंदेलखंड) गजेटियर में पन्ना राज्य के तालाबों के संबंध में उल्लेख है कि- ‘No very larger tanks exist in the state. Several are situated round Panna town, including the Dharam Sagar at the foot of the madar tonga while others are located at Guara, Banda and Panwari villages.’
पन्ना
पन्ना नगर में नृपतिसिंह (1849-70 ई.) ने अपने नाम पर नृपति सागर का निर्माण कराया था। यह विशाल तालाब है तथा पन्ना नगर की जलापूर्ति का प्रमुख साधन है।
लोकपाल सिंह (1893-97 ई.) ने पन्ना नगर में अपने नाम पर ‘लोकपाल सागर’ का निर्माण कराया था। जो अभी भी अच्छी स्थिति में विद्यमान है।
बैनी हजूरी जो पन्ना राजदरबार के प्रतिष्ठित सभासदों में थे तथा जनहित के कार्यों में जिनकी विशेष रुचि रहती थी, ने अपने नाम पर ‘बैनी सागर’ का निर्माण पन्ना नगर में कराया था। वर्तमान में इसकी स्थिति सोचनीय है।
तिवारी परिवार पन्ना राज्य के धनाढ्य परिवारों में परिगणित होता था। उन्होंने पुण्यार्थ पन्ना नगर में एक तालाब का निर्माण कराया था। जो ‘तिवारी का ताल’ या ‘तिवारी तालाब’ के नाम से जाना जाता है।
अजयगढ़
अजयगढ़ पूर्व में एक देशी रियासत थी। आजादी के बाद रियासतों का अस्तित्व समाप्त होने पर वह नवगठित पन्ना जिला में शामिल कर लिया गया था। चंदेलकाल के पूर्व केदार पर्वत पर अजयपाल नाम के एक महात्मा निवास करते थे। फलस्वरूप केदार पर्वत का नाम धीरे-धीरे अजय पाल हो गया और आगे चलकर हिन्दी भाषा की मुखसुख की प्रवृत्ति के फलस्वरूप ‘अजय पाल’ उसे ‘अजय पहाड़’ कहा जाने लगा। इसके पश्चिमी भाग में केन नदी बहती है।
चंदेल नरेश जयशक्ति ने सन् 830 ई. के लगभग इस अजय पहाड़ पर एक दुर्ग का निर्माण कराया था। अजय दुर्ग में अजय पाल तालाब एवं ‘परमाल तालाब’ नामक दो सरोवर हैं। गंगा एवं जमुना नाम के दो कुंड भी यहाँ विद्यमान हैं, जिन्हें पत्थरों को तराशकर हौज का रूप दिया गया है। दुर्ग में ‘बीरा’ नामक एक बावड़ी भी है।
अजयगढ़ के एक शिलालेख में ग्यारह पंक्तियों में जो विवरण दिया गया है उसके अनुसार विक्रम संवत् 1237 (सन् 1180 ई.) में कोटिया निवासी क्षत्रिय तेजल के पुत्र रावत श्री वीर द्वारा अकाल के दिनों में सड़क के किनारे एक बावड़ी का निर्माण कराया गया था। यह शिलालेख दुर्ग के ऊपरी फाटक पर उत्कीर्ण है।
अजयगढ़ के दुर्ग में विद्यमान तालाबों के अतिरिक्त अजयगढ़ बस्ती के निकट ‘पोखना’ एवं ‘खोई’ नामक दो तालाब हैं। अजयगढ़ के कुरार तालाब के सम्बन्ध में कहा जाता है कि इसका निर्माण माहिल वंशज परिहारों द्वारा कराया गया था।
गुनौर का ‘गुनू सागर’ तालाब, दागोली में विद्यमान एक विशाल आकर्षक सरोवर, बछौन का भितरिया ताल बहुत विशाल है। इसका बाँध तथा घाट भी उत्तम है। बडौर ग्राम में भी एक सुंदर तालाब विद्यमान है। इससे कुछ सिंचाई भी होती है। रैपुरा में भी एक निस्तारी तालाब है। जिसके घाट पक्के बने हुये हैं। एक तालाब गाँव की सीमा के निकट स्थित है, जो अनुपयोगी हो चुका है।
जोधपुर में दुर्ग से लगे हुये दो गोंड कालीन तालाब है, जो रक्त कमल एवं श्वेत कमल पुष्पों से सुशोभित रहते हैं। तालाबों के उत्तरी भाग में स्थित एक विशाल बावड़ी है। तालाबों एवं बावड़ी में जल ग्रीष्मकाल में भी बना रहता है।
उपर्युक्त तालाबों के अतिरिक्त पन्ना जिले में बृजपुर तालाब, सुनेरा तालाब, बराछ का तालाब, विक्रमपुर तालाब, आधार तालाब, हनूपुरा तालाब, जमुनही तालाब, कोहनी तालाब, बड़ागाँव तालाब, रायपुर तालाब, ककरहटी तालाब, रानी ताल, सुंगरहा राजाताल, पचामा ताल, खरही तालाब, चिरहा तालाब, कुताल तालाब, खमरिया तालाब, कुँवरपुरा तालाब, खरो तालाब आदि अनेक तालाब हैं। ज्ञातव्य है कि इन सभी तालाबों से सिंचाई भी होती है। पन्ना जिला में 82 तालाब हैं।