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January 30, 2025दमोह
January 31, 2025सागर
सागर नगर तीन ओर से तालाब को घेरे हुये विन्ध्य पर्वत माला की दो हजार फुट ऊँचाई पर सुंदरता से निर्मित है। सागर में विद्यमान इस विशाल सागर के कारण ही नगर को सागर के नाम से ही जाना जाता है। प्राचीन जनश्रुति के अनुसार लाखा नाम के एक बंजारे ने इसका निर्माण 700-800 वर्ष पूर्व कराया था। ‘सागर तालाब के झिलमिल विस्तार में लाखा और उसकी बिरादरी की कीर्ति आज भी लहराती है। सागर की प्रतीति उपजाता सागर सरोवर एक समय सचमुच बहुत सुंदर रहा होगा। यकीनन आज से कहीं अधिक विशाल और स्वच्छ भी।’
पी. राघवन के अनुसार
‘सागर नगर के तालाब को बड़ा रूप देने का श्रेय मराठों को है। नागपुर के मराठा शासक ने अमीर खाँ को भगाकर सागर की रक्षा की और मराठों ने गढ़पहरा के स्थान पर सागर को महत्व दिया एवं इस क्षेत्र का मुख्य नगर बनाया। सागर के पुराने तालाब को गहरा और चौड़ा कराया गया। उसके किनारे एक किला बनवाया गया और तालाब के किनारे रक्षा दीवार बनवायी गयी, जिसे अब ‘परकोटा’ कहा जाता है। मराठों के शासन में नगर में स्थिरता आयी। उनके समय में सागर तालाब की शोभा दर्शनीय थी।’
मध्य काल में बनजारे लोग आकर तालाब का पूजन करते थे। बनजारों की अनेक कथाएँ इस तालाब से जुड़ी हैं, जो रोचक होने के साथ नगर के व्यापारिक महत्त्व को प्रकट करती है।
गढ़पहरा
सागर जनपद का दूसरा ऐतिहासिक तालाब गढ़पहरा का मोती ताल है। यह पहाड़ी के नीचे दांगी शासकों द्वारा बनवाया गया है। पहाड़ी के ऊपर किला है, जिसमें शीशमहल आदि अनेक दर्शनीय इमारतें हैं। तालाब में स्नान कर लोग यहाँ की प्रसिद्ध हनुमान मूर्ति का दर्शन करते हैं। सागर से झाँसी जाने वाली सड़क पर यह तालाब है। ऊपर पहाड़ी पर भव्य स्मारक है। पहाड़ी के नीचे का दृश्य अत्यन्त मनोहारी है।
बिनायका
एक बड़ा ग्राम है। ग्राम में एक प्राचीन दुर्ग के अतिरिक्त एक बड़ा तालाब भी है।
धामोनी
एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ विस्तृत क्षेत्र में किले के अवशेष विद्यमान हैं। किला धसान नदी से दो ओर से घिरा हुआ है। यहाँ एक बड़ा तालाब है, जो किले से एक कि.मी. की दूरी पर है। जहाँ से पाइप के द्वारा पानी महलों में सप्लाई किया जाता था। पाइपों के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।
ऐरण
इस स्तर के द्वितीय भाग में दो चक्रदार कुएँ (रिंग वैल और 3268 पंच मार्क्ड सिक्कों की निधि प्राप्त हुई है) ज्ञातव्य है कि ऐरण गुप्तकालीन नगर था।
गढ़ोला
एक बड़ा गाँव है। गाँव पत्थर की दीवार से घिरा है। इसमें एक छोटा किला है। इसके पूर्व में 76 एकड़ क्षेत्र का तालाब है। इसे एक दाँगी परिवार के पास जिसका खुरई में विस्तृत क्षेत्र था, लगान मुक्त रूप में रखा गया था।
हीरापुर
हीरापुर में एक छोटा किला और एक तालाब है। इस तालाब को सन् 1900 ई. के अकाल के समय सरकार द्वारा 7,000 रुपये की लागत से ठीक कराया गया था।
जयसींह नगर
गढ़पहरा के शासक जयसिंह ने इसे बसाया था। उसने यहाँ एक किला भी बनवाया था। यहाँ एक बड़ा तालाब है, जिसकी मरम्मत सरकार ने सन् 1896-97 ई. के अकाल के समय करवाई थी। इसका क्षेत्रफल 2,668 एकड़ है।
खुरई
खुरई नगर तहसील का मुख्यालय है। खेमचंद दांगी ने यहाँ एक दुर्ग का निर्माण कराया था। गोविन्द पंत ने स्थानीय किले का निर्माण करवाया, एक तालाब खुदवाया जो किले की दक्षिणी दीवार को स्पर्श करता है और पाषाणों से बने पक्के तालाब में जल से घिरा एक मंदिर बनवाया था।
मालथौन
मालथौन गाँव में कुछ पुरातन अवशेष हैं। ईदगाह गाँव के पूर्व की ओर एक तालाब के किनारे है। यहाँ एक शिलालेख है।
पिठौरिया
पिठौरिया में एक पुराना किला और एक कलचुरी कालीन मंदिर के अवशेष हैं। यहाँ एक बड़ा तालाब है। इसका क्षेत्रफल 1,328 एकड़ है।
राहतगढ़
यह एक छोटा-सा नगर है। यहाँ बड़ी ठोस चट्टानों में खोदा गया एक बड़ा और गहरा तालाब है। इसमें उतरने के लिये ढालू और खतरनाक दिखाई देने वाली सीढ़ियाँ हैं। ये सीढ़ियाँ बहुत बड़े चौकोन पत्थरों से बनी हैं।
शाहगढ़
गढ़ाकोटा के नरेश मर्दन सिंह ने यहाँ एक तालाब का निर्माण करवाया था जो ‘मदन सागर’ नामक पहाड़ियों में निर्मित दर्शनीय तालाब है।
बलेह ग्राम में गौडकालीन एक बड़ा और सुंदर तालाब है।
बलेह
बलेह ग्राम में गौडकालीन एक बड़ा और सुंदर तालाब है।
इनके अतिरिक्त दलीपुर तालाब, महुआखेड़ा तालाब, मछरया तालाब, पड़ई तालाब, बंदिया तालाब, छेजला तालाब, नारायणपुर तालाब (इसके बाँध की लंबाई 12 मीटर तथा ऊँचाई 12 मीटर है), कीरत सागर तालाब गंगा सागर, बाछलौन तालाब, पनिया तालाब, खैराना तालाब, मोहरी तालाब, बांदरी तालाब, इंदौरा तालाब, टड़ा तालाब, नयाखेरा तालाब, बरायटा तालाब तिगोड़ा तालाब, गूंगरा तालाब, हिनौता खरमऊ तालाब, मड़ैया गोंड तालाब, विनैका तालाब आदि हैं। यह सभी तालाब गाद से भर से गये हैं। इनका जीर्णोद्धार करके उन्हें पुनः उपयोगी बनाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त भी ऐसे तालाब हैं जिनसे सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराया जाता है, उनमें से कुछ नरायली, सुरखी, टीला तालाब, रजवार बधौना, पगारा तालाब, गदौला तालाब, गुलई लोहारा, ख्वाजा खेड़ी, चंदिया तालाब, रतौना तालाब आदि हैं।