भूमि के भीतर से बहुत सी वस्तुएँ खोदकर निकाली जाती है। जिनको ‘खनिज’ कहते है। जिस जगह से निकाली जाती है, उसे ‘खान’ या ‘खदान’ कहते हैं। उद्योग धन्धों का विकास खनिजों पर भी निर्भर है। जनपद की भूमि का अध्ययन करने से हमें ज्ञात है कि यहाँ एक तिहाई भूमि पर ही खेती होती है। प्रश्न उठता है कि क्या शेष भूमि अनुपयोगी हैं। नही शेष भूमि खनिज वन सम्पदा एवं उद्योग की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जनपद ललितपुर में शीशा, यूरेनियम जैसे खनिज मिलने की प्रबल सम्भावनाएँ है।
जनपद के महरौनी विकास खण्ड के ग्राम पठा में वर्षो पूर्व सोने की खान थी व वहीं उसकी एक फैक्ट्री लगी हुई थी जिसके अवशेष आज भी मौजूद है एक अभी 60-70 वर्ष पूर्व पुनः प्रयास किया गया था, किन्तु लागत अधिक होने से यह प्रयास असफल रहा। जनपद में खनिजों का विवरण निम्नानुसार है- .
राक फास्फेट
जनपद के दक्षिण में मड़वरा तहसील में सौरई एवं पिसनारी ग्राम के पास राक फास्फेट नामक खनिज निकाला जा रहा है।
सीसा
यह एक महँगा खनिज है। यह खनिज ललितपुर, महरौनी, मार्ग पर महरौनी विकास खण्ड के समोगर नामक ग्राम में मिलने की सम्भावनाएँ है।
यूरेनियम
यूरेनियम जैसे महँगें खनिज का जनपद के दक्षिण में मड़ावरा तहसील के सौरई नामक स्थान पर पता लगा है।
पर्तोदार इमारती पत्थर
जनपद के धौर्रा, जाखलौन, बालावेहट, मदनपुर, परना, पारौल, में इमारती पत्थर प्राप्त होता है, जिसका उपयोग गिट्टी, चौकोर पत्थर, लम्बी फर्शी पत्थर, एवं मूर्ति एवं सजावटी सामान बनाने में भी होता है, इस पत्थर को रेलमार्ग द्वारा देश के कोने-कोने तक भेजा जाता है।
गोरा पत्थर
जनपद के पूरब में वार विकास खण्ड के कैलगवां नामक ग्राम में गोरा पत्थर निकाला जा रहा है। इसका उपयोग बाहर भेजने के अलावा मूर्ति, सजावट का सामान आदि बनाने में हो रहा है तथा गोरा पत्थर के वर्तन भी बनाये जाते हैं।
ग्रेनाइट
जनपद के जखौरा विकास खण्ड में काला पहाड़ पर ग्रेनाइट पत्थर अत्यधिक मात्रा में निकाला जा रहा है तथा जनपद में लगभग हर जगह उत्तम किस्म का ग्रेनाइट पत्थर पाया जाता है यह पत्थर देश एवं विदेश को भी भेजा जा रहा है। इस पत्थर से ललितपुर की पूरे भारत में एक नई पहचान बनी है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।