मराठा कालीन जल संरचनाएँ
January 27, 2025विभिन्न मुस्लिम कालीन जल संरचनाएँ
January 28, 2025छतरपुर – परमार ‘ग्वाल मगरा तालाब – यह तालाब भी आधुनिक (परमार शासनकालीन) है, जो निस्तारी सुन्दर तालाब है।’ (बुंदेलखंड के तालाबों एवं जल प्रबंधन का इतिहास, पृ. 67)
‘प्रताप सागर तालाब का निर्माण छतरपुर के राजा प्रताप सिंह ने सन् 1846 ई. में बनवाया था।’ (वही, पृ. 67)
‘किशोर सागर तालाब भी राजा प्रतापसिंह ने बनवाया था। यह तालाब पन्ना के राजा किशोर सिंह के नाम पर बनवाया गया था। राजा प्रताप सिंह (1816-54) पन्ना के राजा किशोर सिंह के संरक्षक सन् 1832 ई. में बनाये गये थे।’ (वही, पृ. 67)
परिहार
‘ध्रुव सागर (धुवेला) मऊ महेबा-धुवेला तालाब का प्राचीन नाम ध्रुव सागर कहा जाता है। बुंदेलखंड गजेटियर पृ. 5 (छतरपुर) पर उल्लिखित है कि मऊ सहनिया परिहार राजा की राजधानी थी, यहाँ के राजा ध्रुव ने मऊ में अपने नाम पर ध्रुव सागर सरोवर का निर्माण कराया था। यह विशाल एवं मनोरम तालाब है।’ (वही, पृ. 69)
'कुठार तालाब
कुठार ग्राम अजयगढ़ परिक्षेत्र में है। यह प्राचीन धार्मिक सांस्कृतिक स्थल रहा है। कुठार में माहिल पड़िहार का बनवाया हुआ एक सुंदर चंदेली तालाब है। माहिल पड़िहार उरई का था तथा परमाल देव का साला एवं रानी मलना देवी का भाई था।’ (वही, पृ. 80)
'माहिल सागर, उई
चंदेल काल में उरई, पड़िहार सामंत माहिल का क्षेत्र था। माहिल महोबा के चंदेल राजा परमाल देव का साला था, जिसने उरई नगर के मध्य में झाँसी-कानपुर मार्ग पर अपने नाम से विशाल सरोवर बनवाया था।’ (वही, पृ. 118)