पूजन- अर्चन पश्चात् कथा सत्र आरंभ होता है। प्रति वार (दिन) की एक-एक कहानी पूर्व निश्चित है। जिस दिन जो वार होगा उसी वार की कहानी कही जायेगी। इसके अतिरिक्त एक धार्मिक कहानी कोई अन्य सखी कहेगी। कहानियाँ समाप्त होने पर सभी वेदिका की परिक्रमा करते हुई गाती हैं – इन पाउन परकम्मा करयें। आशा पूजै मोरे मन की, दुविधा कब छुटे हैं मन की।