
प्राकृतिक छटा
September 16, 2024
वनस्पति तथा पशुधन
September 16, 2024आपने अनुभव किया होगा कि कभी बहुत अधिक गर्मी लगती है तथा कभी ठंड। यह इसलिए होता है कि साल के विभिन्न महीनों में वायुमण्डल की दशा भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है। किसी स्थान के विभिन्न समय के मौसम का अध्ययन करके ही उस स्थान की जलवायु को जाना जा सकता है। पूरे वर्ष भर मौसम की जो स्थिति रहती है उसे ‘जलवायु’ कहते है।
ऋतु
जितने समय तक जलवायु की एक सी दशा रहती है उसे एक ऋतु कहते है। ललितपुर जनपद की जलवायु में मुख्यत: तीन ऋतुएँ होती है। यें हैं – ग्रीष्म या गर्मी (मार्च से जून तक), वर्षा (जुलाई से अक्टूबर तक) एवं ठंड या जाड़ा (नवम्बर से फरवरी तक)
- ग्रीष्म ऋतु – मार्च माह से ही गर्मी बढ़नी प्रारम्भ हो जाती है तथा मई तथा जून माह सबसे गर्म होता है, इस समय दिन में अधिक गर्मी पड़ती है तथा गर्म हवाएँ चलती है, जिनको ‘लपट’ या ‘लू’ कहते है। इस समय दिन में घर से निकलना कठिन हो जाता है। इस समय जनपद में दिन का अधिकतम तापमान 480 सेल्सियस तथा न्यूनतम 290 सेल्सियस रहता है। वर्षा होने पर गर्मी कुछ कम हो जाती है।
- वर्षा ऋतु- जून के अन्त में बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाओं से यहाँ साधारण वर्षा होती है। वर्ष भर में जनपद में औसत वर्षा 70-80 सेन्टीमीटर के लगभग होती है। यहाँ जुलाई अगस्त माह में सबसे अधिक वर्षा होती है।
- जाड़े की ऋतु – दिसम्बर और जनवरी माह में रात्रि में अधिक ठंड़ पड़ती है तथा कभी-कभी दिन में शीत लहर भी चलती है। बच्चों इस समय आप गर्म कपड़े पहनते हो और तापने के लिए आग भी जलाते है। इस समय यहाँ पर औसत दैनिक अधिकतम तापमान 240 सेल्सियस व न्यूनतम 50 से 70 सेल्सियस के मध्य रहता है। इस ऋतु में कभी-कभी कुछ वर्षा भी हो जाती है, जो रवी की फसल के लिए लाभदायक होती है। इस वर्षा को माहुठ कहते हैं। कभी-कभी अधिक ठंड पड़ने से ‘पाला’ भी पड़ जाता है जिससे इस मौसम की फसलों को हानि भी होती है।