सामाजिक शिक्षा
September 16, 2024जलवायु
September 16, 2024ललितपुर जनपद का अधिकांश भाग पठारी है। जनपद का दक्षिणी भाग ऊँचा तथा पहाड़ी है। इस भाग में विन्ध्याचल पर्वत की सुरम्य छोटी-छोटी पहाड़ियाँ है। इन पहाड़ियों की ऊँचाई समुद्रतल से 500 मीटर से 600 मीटर के बीच है। जनपद के जखौरा विकास खण्ड के आस-पास की पहाड़ियों की ऊँचाई 400 मीटर है। पहाड़ियों के नीचे मैदानी भाग की समुद्र तल से ऊँचाई जनपद के दक्षिणी भाग में 400 मीटर तथा उत्तरी भाग में 300 मीटर है। उत्तरी भाग ढालू तथा नीचा है; इसलिए जनपद के पठारों का ढ़लान दक्षिण से उत्तर की ओर है।
जनपद में मुख्य रूप से निम्न नदियाँ बहती है। पहाड़ी क्षे़त्र में नदियों का बहाव तेज होता है तथा मैदान में नदियाँ का बहाव धीमा हो जाता है। जिस स्थान से नदी शुरू होती है उसे ‘नदी का उद्गम” कहते है। जिस स्थान पर दो या दो से अधिक नदियाँ मिलती है उसे उनका ‘संगम’ कहते है। छोटी नदियाँ बहती हुई बड़ी नदियों से जा मिलती हैं। इस प्रकार हर बड़ी नदी से कई छोटी नदियाँ मिलती है; इनको बड़ी नदी की सहायक नदियाँ कहते है।
जनपद ललितपुर की सभी नदियाँ यमुना नदी की सहायक नदियाँ है। जनपद की सभी बड़ी नदियों में वर्ष भर पानी बहता रहता है जबकि छोटी नदियाँ में गर्मी के मौसम में बहाव रुक जाता है। जनपद का उत्तरी भाग ढ़ालू होने के कारण नदियाँ का बहाव उत्तर की ओर हैं हमारे जनपद की निम्न नदियाँ जनपद का हरा-भरा श्रृंगार करती हुई समृद्धि का वरदान दे रही है-
वेतवा
वेतवा नदी जनपद की सबसे बड़ी नदी है। इसका पुराना नाम ‘वेत्रवती’ है यह नदी जनपद की पश्चिम सीमा में 65 किलोमीटर प्रवाहित होती है। इस नदी पर माताटीला सुकुवां ढुकुवा बाँध, राजघाट के पास रानी लक्ष्मीवाई बाँध (राजघाट बाँध) है; आगे चलकर यह नदी यमुना नदी में मिल जाती है। माताटीला बाँध 1952-64 में बना इसकी लम्बाई 6.30 कि.मी. है ऊँचाई 3353 मीटर जल संग्र्र्रहण क्षमता 1132.68 क्यूसेकमीटर है। राजघाट बाँध 1971 में आधार शिला रखी गई इसकी जल संग्रहण क्षमता 17000 वर्ग कि.मी. तथा 42 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है।
सजनाम
सजनाम नदी जनपद में दक्षिण से पूर्व की ओर 135 किलोमीटर बहती हुई महरौनी विकास खण्ड एवं मड़ावरा विकास खण्ड को हरा-भरा करती हुई जनपद को पार करती है। इस नदी पर विरधा विकास खण्ड में सिंदवाहा के निकट सजनाम बाँध 1977-90 में एवं बार विकास खण्ड में कचनौदा बाँध 1912 में बना है। सजनाम बाँध की लम्बाई 5.15 कि.मी., ऊँचाई 18.78 मीटर जल संग्रहण क्षमता 83.50 क्यूसेक मीटर हैं। इसी नदी पर बार विकास खण्ड में इसकी सहायक नदी उटारी पर 2005 में उटारी बाँध बनाया गया है। इसी नदी पर महरौनी विकास खण्ड में भैरा गाँव के पास भोंरट बाँध 2005 से बन रहा हैं।
जामनी
जामनी जामनेर इस नदी का पुराना नाम ‘जम्बुला’ है। यह नदी जनपद में दक्षिण से उत्तर की ओर 160 किलोमीटर बहती हुई ‘वेतवा’ नदी से जाकर मिलती है। इस नदी पर जमुनियाँ गाँव के पास 1962-73 में बाँध बना। इसकी लम्बाई 6.40 कि.मी. है ऊँचाँई 19.18 मीटर है कुल जल संग्रहण क्षमता 92.89 क्यूसेक मीटर है।
धसान
धसान नदी का प्राचीन नाम ‘दशार्णा’ है यह नदी मड़ावरा तहसील में दक्षिणी पूर्वी सीमा में लगभग 35 किलोमीटर प्रवाहित होते हुए टीकमगढ़ जिले में प्रवेश करती है यह नदी आगे जाकर वेतवा से मिलती है।
सहजाद
सहजाद नदी वर्तमान दुधई महोली में स्थित चेदि कालीन तालाब से निकलकर जनपद मुख्यालय के मध्य से बहती हुई 65 किलोमीटर की यात्रा दक्षिण से उत्तर की ओर करती है। इस नदी पर ललितपुर नगर के पास ‘गोविन्द सागर बाँध’ 1947-53 में बना इसकी लम्बाई 3.60 कि.मी. है ऊँचाई 18.29 मीटर है तथा जल संग्रहण क्षमता 96.80 क्यूसेक मीटर है। ललितपुर नगर की पेयजल आपूर्ति इसी बाँध से होती है इस बाँध में साइफन व्यवस्था है एवं तालबेहट के हजारिया गाँव के पास ‘शहजाद बाँध’ यह बाँध 1973-92 में बना था। इसकी लम्बाई 4.16 कि.मी. तथा ऊँचाई 18.00 मीटर है एवं जल संग्रहण क्षमता 130 क्यूसेक मीटर है । इसका प्राचीन नाम सहजाद्रि है।
रोहिणी
रोहिणी नदी जनपद के दक्षिण में मड़ावरा तहसील की नदी है। इस नदी पर ‘रोहणी बाँध 1976-84 में बना इसकी लम्बाई 1.65 कि.मी. तथा ऊँचाई 15.50 मीटर एवं जल संग्रहण क्षमता 92.59 क्यूसेक मीटर है।
जमड़ार
जमड़ार नदी का उद्गम मड़ावरा तहसील के साढूमल ग्राम के पास सूबेदार की बेर से हुआ है। यह नदी मड़ावरा महरौनी तहसील से होती हुई टीकमगढ़ जिले में कुण्डेश्वर धाम के पास जंगल में जामनी नदी से मिलती है। इस नदी का प्राचीन नाम यमद्रष्ट्रा है। इस नदी पर क्योलारी ग्राम के पास 2005 जमड़ार बाँध बना है।
जनपद में जगह जगह पत्थर की चट्टानों के टीलें एवं टोरिया पायी जाती है। जनपद के दक्षिण में मदनपुर, दक्षिण-पश्चिम में जाखलौन, धोर्रा में पत्थर की खदानें हैं तथा जखौरा ब्लाक में ग्रेनाइट की खदानें हैं। जनपद में जगह-जगह ग्रेनाइट पत्थर पाया जाता है। लगभग हर विकास खण्ड में वन क्षेत्र है जो प्राकृतिक सौन्दर्य की एक अनुपम छटा बिखेर रहा है।