
वनस्पति तथा पशुधन
September 16, 2024
भूमि एवं प्रमुख उपजें
September 16, 2024मनुष्य, पशु, पक्षी, और जीव-जन्तुओं को जीवित रखने के लिए पानी बहुत ही आवश्यक है। यहाँ तक कि बिना पानी के कोई पौधा भी नहीं उग सकता है। पौधों के लिए आरम्भ से ही पानी की आवश्यकता होती है। यह पानी सर्वप्रथम वर्षा से प्राप्त होता है, परन्तु हमारे जनपद में वर्षा हमेशा एक सी नहीं होती तथा कभी कम और कभी अधिक होती है। इसलिए कभी-कभी फसलें भी नष्ट हो जाती हैं, अकाल तक पड़ जाता है। इससे बचने के लिए सिचांई द्वारा खेतों को पानी पहूँचाया जाता है। इस तरह भिन्न-भिन्न उपायों से पौधों तक पानी पहुँचाने को सिचाई कहते हैं। इस जनपद में समस्त बोई जाने वाली भूमि का लगभग आधा भाग सिंचित है।
जनपद में सिंचाई के निम्न लिखित मुख्य साधन हैं- (1) नदी, बाँध (2) नहर (3)तालाब (4) बंधियाँ (5) कुआँ (6) नलकूप
बाँध
नदियों का पानी रोकने के लिए हमारे यहाँ नदियों पर बाँध बनाये गये हैं प्रदेश में अपने जनपद में सबसे अधिक बाँध है तथा सिंचाई का मुख्य साधन बाँध का पानी है। अपने जनपद में बेतवा नदी पर सुकवाँ ढुकवाँ बाँध तथा माता टीला बाँध’ है संयोग से इस बाँध का भराव क्षेत्र तो जनपद में है किंतु सिंचाई नहीं होती है एवं इसी नदी पर ललितपुर के पास राजघाट में रानी लक्ष्मीबाई बाँध (राजघाट बाँध ) है। शहजाद नदी पर ललितपुर जिला मुख्यालय के पास ‘गोबिन्द सागर बाँध व इसी नदी पर तालबेहट के पास शहजाद बाँध बना है। विरधा के पास सजनाम नदी पर सजनाम बाँध बना है एवं इसी नदी पर बार विकास खण्ड मे कचनौदा बाँध बन गया है। मड़ावरा के पास जामनी नदी पर जामनी बाँध एवं यही रोहणी नदी पर रोहणी बाँध बना हुआ है। महरौनी के पास नाट नदी पर पाली बाँध एवं महरौनी के पास जामनी नदी पर भौंरट बाँध है एवं गुढ़ा के पास जमड़ार नदी पर जमड़ार बाँध है’। सजनाम नदी की सहायक नदी उटारी नदी पर महरौनी तहसील के सूरीकलां गाँव के पास इसी नदी के नाम पर उटारी बाँध बना है। इसके अतिरिक्त धसान, नारायणी, जमड़ार एवं अन्य कई छोटी बड़ी नदियों से भी डीजल पम्प रखकर सिंचाई की जाती है।
नहर
सिंचाई के साधनों में नहरों का स्थान महत्वपूर्ण है नहरें बाँधों एवं तालाबों से निकाली जाती है। अपने जनपद में नहरों की कुल लम्बाई 731 किलोमीटर है। साथ ही राजघाट बाँध से निकलने वाली नहरों से 21,215 एकड़ भूमि और सिंचित होने लगी है।
जाखलौन पम्प नहर प्रणाली
जाखलौन के पास बंदरगुढ़ा नामक स्थान पर यह प्रणाली 1974 में बनाई गई थी। इसके शुरू होने पर राजघाट बाँध जलाशय से पानी लिफ्ट कर विरधा, जखौरा की लगभग 23903 हेक्टेयर भूमि सिंचित होने लगी हैं इसमें 135.5 किलोमीटर नहरें निकाली गईं हैं जिसमें मुख्य नहर 34.3 कि.मी. है। इस पर 3357 लाख लागत आई है। यह बेतवा नदी पर बना है।
तालाब
जनपद में भूमि ऊँची-नीची होने के कारण तालाब बनाने में बहुत सुविधा होती है। वर्षा का पानी तालाबों में इकट्ठा कर लिया जाता है और इससे नहरें निकालकर इसे खेतों में पहुँचाया जाता हैं। जनपद में लगभग 15 तालाब है, जिनके माध्यम से जनपद में कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल सिंचित होता हैं। जनपद में मुख्य तालाब वाँसी, तालबेहट, जखौरा, जमालपुर, रजवारा, लड़वारी महरौनी थे। मदनपुर में झील और तालाब हैं और गंगारीताल और धोरी सागर जैसे बड़े तालाब हैं।
बंधियाँ
खेतों की मेंड़ को चारों ओर से ऊँचा कर दिया जाता है। जिससे खेतों में पानी इकट्ठा हो जाता है, इस पानी से नई उपजाऊ मिट्टी की एक तह जम जाती है, यदि इन खेतों में धान रोपा जाता है तो पानी भरा रहता है, अन्यथा दूसरी फसल बोने के लिए पानी निकाल दिया जाता हैं। अपने जनपद में सैकड़ों बंधियों का निर्माण करके सिचांई सुविधा का विस्तार किया गया है।
कुआँ
भूमि वर्षा का जल सोख लेती है, और यह जल भूमि तल के नीचे भरा रहता है। कुआँ खोदने पर पानी इकट्ठा होने लगता है। कुएँ के पानी को रहँट, तरसा, चाठ या ढे़कुली, ड़ीजल पम्प, विद्युत पम्प, पवन चक्की आदि से खींचा जाता है। फिर नालियों के द्वारा खेतों तक पहुँचाया जाता है। जिन क्षे़त्रों में नहरें नहीं पहुँच पाती उन क्षे़त्रों में कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है। अपने जनपद में 19,356 पक्के कुएँ है। जिन पर 17446 विद्युत तथा डीजल पम्प रखे गये है। अपने जनपद में कुओं द्वारा 93 प्रतिशत सिंचाई होती है।
नलकूप
जनपद में विद्युत द्वारा चालित मशीनों से 6840 बोरिंग पम्प सेट एवं 9121 भूस्तरीय पम्प सैटों द्वारा सिंचाई होती है। जनपद में राजकीय नलकूप एक ही है।
अन्य
उक्त सिंचाई के साधनों के अलावा जनपद में अन्य साधनों से भी सिंचाई की जाती है। उक्त साधनों के अलावा जनपद में 300 चेकडेम भी सिंचाई की सुविधा हेतु बनाये गये है तथा ककड़ारी के श्री मंगल सिंह ने टरबाइन का एक अनोखा प्रयोग कर बिना विद्युत के सिंचाई का स्वचालित साधन बनाया है। इस प्रकार जनपद ललितपुर में वर्तमान में सिंचित भूमि का क्षेत्रफल 1,43,366 हैक्टेयर है। जो कृषि योग्य भूमि से लगभग आधा है। निकट भविष्य में कृषि योग्य भूमि का अधिकांश भाग सिंचित क्षेत्र हो जायेगा। इसके अलावा 2 लाख दस हजार हैक्टेयर बेकार पड़ी भूमि को कृषि योग्य बनाये जाने हेतु प्रयास जारी है जिसमें नित नई सफलताएँ मिल रही है।
विद्युत
जनपद में माता टीला एवं रानी लक्ष्मीबाई बाँध परियोजना (राजघाट बाँध) विद्युत निर्माण हेतु निर्मित हैं। इसमें राजघाट बाँध से 42 मेगावाट विद्युत क्षेत्र को मिलने लगेगी। किन्तु इतने साधन ही पर्याप्त नहीं है इस हेतु प्रस्तावित योजनाओं को पूर्ण कराना ही होगा।