डॉ. गंगाप्रसाद गुप्त ‘ बरसैंया’
August 21, 2024सामाजिक शिक्षा
September 16, 2024हमारा देश भारत है। इसे पहले आर्यावर्त, ब्रह्मावर्त, अजनाथ वर्ष, ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर भरत खण्ड, दुष्यन्त- शकुन्तला पुत्र भरत के नाम पर भारत वर्ष, मुगलों का दिया हुआ नाम- हिन्दुस्तान अँग्रजों का दिया हुआ नाम ‘इण्डिया’ है। इसकी राजधानी नई दिल्ली है। हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, म्यामार, नेपाल, श्री लंका और मालदीव है। दक्षिण दिशा में यह तीन ओर से समुद्र से घिरा है। अपने राज्य का नाम उत्तर प्रदेश है। इसकी राजधानी लखनऊ है। इसका पुराना नाम संयुक्त प्रांत (आगरा और अवध) था। आज यह भारत के 29 राज्यों में से एक हैं। यह उत्तरी भारत के मध्य में स्थित है। यह भगवान श्री राम और श्री कृष्ण की लीला भूमि रहा है।
अपने राज्य की उत्तरी सीमा पर चीन और नेपाल देश है। राज्य के पूर्व में बिहार तथा झारखण्ड, उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ राज्य हैं। इसकी जनसंख्या 2023 में 25 करोड़ के लगभग है, जो दूसरे राज्यों की तुलना में अधिक हैं।
ललितपुर जनपद उत्तर प्रदेश के झाँसी मण्डल का एक अनोखा जिला है। यह प्रदेश के 75 जिलों में से एक है। जिले के रूप में इसका निर्माण 01 मार्च 1974 ई. को झाँसी जनपद के विभाजन से हुआ था। इससे पूर्व सन् 1844 में ललितपुर चन्देरी राज्य का मुख्यालय रहा तथा सन् 1861 से 1891 तक ललितपुर ब्रिटिश शासन काल में जनपद मुख्यालय रहा, एवं 1892 से फरवरी 1974 तक यह जनपद झाँसी जनपद का अंग रहा है। गौड़ राजा सुम्मेर सिंह की पत्नी ‘ललिता’ के नाम पर इस स्थान का नाम ललितपुर रखा गया था। इससें पूर्व इस स्थान का नाम हरिराज के भारत कला भवन ताम्रपत्र में “पुरबाल” है।
सीमाएँ
अपने जनपद की उत्तरी सीमा पर पितातुल्य जुझारू झाँसी जनपद, दक्षिण में सागर जिला (म.प्र.), पूर्व में टीकमगढ़ जिला (म.प्र.) व छतरपुर जिला (म.प्र.) एवं पश्चिमी सीमा पर शिवपुरी एवं अशोक नगर जिला (म.प्र.) स्थित है, इस प्रकार में तीनों ओर से मध्यप्रदेश से घिरा हुआ है।
स्थिति
ललितपुर जनपद उत्तर प्रदेश के दक्षिण पश्चिम में 24º-11′ से 25º-14′ उतरी अक्षांश तथा 78º -10′ से 79º-00- पूर्वी देशान्तर में स्थित है।
जनपद का क्षेत्रफल
ललितपुर जनपद का क्षेत्रफल 5043 वर्ग किलोमीटर अर्थात् 5,06,953 हैक्टेयर है। जनपद की उत्तर-दक्षिण की लम्बाई लगभग 93 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम की चौड़ाई लगभग 54 किलोमीटर है। उत्तर में लगभग 20 किलोमीटर की पट्टी अपने जनपद को झाँसी जनपद से जोड़ती है।
जनसंख्या
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार जनपद की कुल जनसंख्या 12 लाख 21 हजार 592 थी, एवं 2023 में 14 लाख 15 हजार होने का अनुमान है।
जनपद के किले
जनपद के किले वास्तु स्थापत्य के अनूठे प्रादर्श है और गौरव, वैभव एवं शौर्य को अपने में समाविष्ट किए हुए हैं इनमें प्रमुख, बालावेहट, मसौरा खुर्द, महरौनी, सौरई, वानपुर, बाँसी, कैलगुवाँ एवं तालबैहट आदि किले हैं। इनमें तालबैहट का किला बाला जी मराठा सरदार ने बनवाया था जो सुरक्षित एवं सुदृढ़ स्थिति में हैं। मड़ावरा का किला बलवन्त राव मोरा जी मराठा द्वारा बनवाया हुआ है। शेष किले चन्देरी वंशज के राजवंशजों एवं उनके म्याद जागीरदारों द्वारा बनवाये हुए हैं। देवगढ़ का प्राचीन किला नष्ट हो चुका है। यह किले हमारे गौरव तथा प्राचीन सामरिक निधि हैं।